जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से होने वाले व्यापार को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिये जाने से लाल मिर्च, आम, जड़ी-बूटियों और सूखा मेवा सहित कई वस्तुओं का कारोबार प्रभावित होगा। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बात कही।
व्यापार बंद किए जाने से करीब 280 कारोबारी सीधे प्रभावित होंगे। साल 2008 में कारोबार शुरू होने के बाद से यह 6,900 करोड़ रुपये के स्तर को छू चुका है। सीमापार से व्यापार के लिए 21 वस्तुओं को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें केला, कढ़ाई की गई वस्तु, इमली, लाल मिर्च और जीरा का निर्यात किया जाता है जबकि बादाम, सूखे खजूर, सूखा मेवा, जड़ी-बूटियों, आम और पिस्ता का आयात किया जाता है।
भारत ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के खिलाफ अपना रुख सख्त करते हुए जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर दो बिंदुओं से होने वाले व्यापार को शुक्रवार से स्थगित कर दिया। सरकार को ऐसी सूचनाएं मिल रही थीं कि पाकिस्तान में बैठे अराजक तत्त्व अवैध हथियारों, मादक पदार्थों और नकली मुद्री भेजने के लिए नियंत्रण रेखा से होने वाले व्यापार का दुरुपयोग कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय ने कहा कि नियंत्रण रेखा से होने वाले व्यापार का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किये जाने की रिपोर्टें मिलने के बाद जम्मू और कश्मीर में बारामुला क्षेत्र में सलमाबाद और जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले में चक्कन-दा -बाग से नियंत्रण रेखा के आर-पार होने वाले व्यापार को रोकने के लिए आदेश जारी कर दिये गये हैं।
नियंत्रण रेखा के आर पार श्रीनगर से मुजफ्फराबाद और पुंछ से रावलकोट के लिये 21 अक्टूबर 2008 को आपसी विश्वास बढ़ाने के उपायों के तहत व्यापार शुरू किया गया था। उरी व्यापार केंद्र से 2008 से 2017 तक 4,400 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ जबकि पुंछ में इसी अवधि का आंकड़ा 2,542 करोड़ रुपये रहा है।
प्रारंभ में जम्मू-कश्मीर से इन दो स्थानों से कारोबार करने के लिए 646 कारोबारियों ने पंजीकरण कराया था। अब ये घटकर करीब 280 रह गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि सख्त नियामकीय और प्रवर्तन तंत्र पर काम किया जा रहा है और इसे विभिन्न एजेंसियों के परामर्श से लागू किया जाएगा। इसके बाद एलओसी के आर-पार व्यापार को फिर से खोलने के मुद्दे पर फिर से विचार किया जाएगा।