छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की पुलिस ने महिलाओं के नाम से फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर साम्प्रदायिक मुद्दों पर भड़काऊ टिप्पणी करने के मामले में इंजीनियरिंग के एक छात्र को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार युवक जिस फर्जी प्रोफाइल से टिप्पणी करता था उसके हजारों की संख्या में मित्र और फालोवर्स हैं जिनमें व्यापारी, पुलिस कर्मचारी से लेकर पत्रकार तक शामिल हैं।
रायपुर जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शहर के कबीर नगर थाना क्षेत्र की पुलिस ने फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर साम्प्रदायिक मुद्दों पर भड़काऊ टिप्पणी करने के मामले में रवि पुजार (31) को शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कबीर नगर थाना क्षेत्र की पुलिस को अज्ञात आरोपी द्वारा फेसबुक पर साम्प्रदायिक मुद्दों पर भड़काऊ टिप्पणी करने के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू की गई थी। जांच के दौरान कबीर नगर थाना और साइबर सेल की टीम ने कबीर नगर निवासी आरोपी रवि पुजार को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी रवि महिलाओं के नाम पर फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाता था और उसमें पाकिस्तानी लड़कियों की तस्वीर का उपयोग करता था। उन्होंने बताया कि रवि ने एक फर्जी प्रोफाइल एक निशा जिंदल के नाम से बनाया था जिसके उसके चार हजार मित्र और 10 हजार फॉलोवर्स थे। इनमें व्यापारी, राजनीतिक दल के कार्यकर्ता, कई पत्रकार और अन्य लोग शामिल हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी रवि, निशा जिंदल के नाम से फर्जी फेसबुक प्रोफाइल में स्वयं को विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व व्यापार संगठन जैसे बड़े वैश्विक संगठनों का सदस्य बताता था। उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने रवि को गिरफ्तार किया तब उसके निशा जिंदल वाले फर्जी फेसबुक एकाउंट से रवि पुजार का फोटो पोस्ट किया गया और उसमें लिखा गया कि मै निशा जिंदल हूं और अब मै पुलिस की हिरासत में हूं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी रवि आईटी इंजीनियरिंग का छात्र है और वह वर्ष 2009 से पढ़ाई कर रहा है लेकिन अभी तक पास नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2012 से निशा जिंदल के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट चला रहा था।
इसके अलावा उसने महिलाओं के नाम पर पांच अन्य फेसबुक प्रोफाइल भी बनाई हुई थी। वह सोशल मीडिया पर 13 से 14 घंटे तक सक्रिय रहता था। लेकिन रवि पुजार का अपना कोई वास्तविक फेसबुक अकांउट नहीं है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.