गृह मंत्रालय ने शुक्रवार, 20 दिसंबर को कहा कि किसी भी भारतीय को उसके माता-पिता या दादा-दादी के 1971 से पहले के जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज दिखाकर नागरिकता साबित करने के लिए नहीं कहा जाएगा और न ही उसे नाहक परेशान किया किया जाएगा या मुश्किलों में डाला जाएगा।
अपने ट्वीटों में गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बिना किसी दस्तावेज वाले निरक्षर नागरिकों को गवाह या समुदाय के सदस्यों से समर्थित सबूतों पेश करने की अनुमति होगी। प्रवक्ता ने कहा, ''भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्मस्थान या दोनों से संबंधित कोई दस्तावेज पेश कर साबित की जा सकती है। ऐसी सूची में ढेर सारे आम दस्तावेज होने की संभावना है ताकि कोई भी भारतीय नाहक परेशान न हो या वह मुश्किलों में नहीं आए।''
#Citizenship of India may be proved by giving any document relating to date of birth or place of birth or both. Such a list is likely to include a lot of common documents to ensure that no Indian citizen is unduly harassed or put to inconvenience.#CAA2019
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) December 20, 2019
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गृह मंत्रालय इस संबंध में सुनिर्धारित प्रक्रिया जारी करेगा। प्रवक्ता ने कहा, ''भारतीय नागरिकों को 1971 से पहले का अपने माता-पिता/दादा-दादी के पहचान पत्र, जन्मप्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों को पेश कर अपने पुरखों को साबित नहीं करना होगा।''
यह ट्वीट तब ऐसे समय में आया है जब एक सप्ताह पहले संसद से नागरिकता संशोधित विधेयक पारित हुआ और पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ने उसे अपनी मंजूरी दी। संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों तथा वहां धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे इन समुदाय के लोगों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.