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IANS

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को विपक्ष पर ''बांटो और राज करो'' के आधार पर लोगों के बीच डर फैलाने और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने व्यापक प्रदर्शन के बीच इस विषय से जुड़ी चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि इस कानून का और 'एनआरसी' का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है।

इस विवादास्पद कानून का पुरजोर बचाव करते हुए प्रधानमंत्री ने यहां रामलीला मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यह कानून पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हुए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने के लिए है तथा यह किसी व्यक्ति के अधिकारों को नहीं छीनेगा। उन्होंने शांति की अपील भी की।

उन्होंने कहा, ''नागरिकता कानून (सीएए) या प्रस्तावित एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) का भारतीय मुस्लिमों से कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।''

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों तथा 'अर्बन नक्सलियों' पर आरोप लगाया कि वे अफवाह फैला रहे हैं कि मुस्लिमों को 'डिटेंशन सेंटर' में भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कानून का भारतीय नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है और इसे पारित करने के लिए लोगों से संसद और सांसदों का आभार जताने को कहा।

मोदी ने चुनावी राज्य दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के बाशिंदों को मालिकाना हक देने के केंद्र के फैसले के लिए इस धन्यवाद रैली का इस्तेमाल सीएए को लेकर हो रही आलोचना का जवाब देने के खातिर भी किया। उन्होंने प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाओं की निंदा की, पुलिस की सराहना की और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की।

अपने करीब 100 मिनट के भाषण में विपक्ष पर लगातार प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल जून में उनके दोबारा सत्ता में लौटने के बाद से क्षुब्ध लोग उन्हें (मोदी को) निशाना बनाने के लिये ''बांटो और राज करो'' के आधार पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों पर निशाना साधते हुए कहा यह अवसर था जब हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रताड़ित होने के संबंध में उसे (पाकिस्तान को) घेर सकते थे, लेकिन विपक्ष ने राजनीति की और यह मौका गंवा दिया। उन्होंने इन दलों पर वैश्विक स्तर पर भारत का नाम खराब करने का आरोप लगाया।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा कि 'विविधता में एकता भारत की विशेषता' है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कभी यह नहीं देखा कि उसकी योजनाओं के लाभार्थी मंदिर जाते हैं या मस्जिद जाते हैं। उन्होंने मुस्लिमों से उनके (मोदी के) पिछले रिकार्ड को देखने और उनके प्रतिद्वंद्वियों के 'टेप रिकार्ड' नहीं सुनने को कहा।

उन्होंने कहा, ''हमने गरीबों की भलाई के लिए, योजनाओं के लाभार्थी चुनते समय कभी कागजों की बंदिशें नहीं लगाई...हमने जब आठ करोड़ परिवारों को एलपीजी सिलेंडर दिए तब क्या किसी से धर्म या जाति के बारे में पूछा? हमने पिछले पांच बरसों में गरीबों को आवास देते समय लोगों का धर्म कभी नहीं पूछा।''

उन्होंने युवाओं से कानून (सीएए) के प्रावधान पढ़ने की अपील करते हुए कहा, ''मैं इस मुददे को लेकर देश को विभाजित कर रही कांग्रेस, उसके सहयोगियों और अन्य से पूछना चाहता हूं कि वे इस तरह के झूठ का सहारा क्यों ले रहे हैं...उन्होंने न सिर्फ दिल्ली को, बल्कि देश के अन्य हिस्सों को भी अव्यवस्था और डर के माहौल में धकेलने की साजिश रची।''

अपने-अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं करने का दावा करने वाले मुख्यमंत्रियों की भी आलोचना करते हुए मोदी ने कहा कि इन लोगों को पहले अपने कानूनी अधिकारियों से मशविरा करना चाहिए। मोदी ने कहा कि घुसपैठिये कभी अपनी पहचान का खुलासा नहीं करते हैं, जबकि शरणार्थी अपनी पहचान कभी नहीं छिपाते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विवादास्पद मुद्दे (एनआरसी) पर न तो उनकी सरकार ने, ना ही कैबिनेट या संसद ने चर्चा की है और इस बात का जिक्र किया कि यह शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद अब तक सिर्फ असम में कराया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एनआरसी के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग शांति के लिए एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, हिंसा रोकने के लिए एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं हैं और मौन रहकर पुलिसकर्मियों एवं अन्य लोगों पर हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''इसका मतलब है कि हिंसा को, पुलिस पर हो रहे हमलों को आपकी मौन सहमति है. ये देश देख रहा है।'' उन्होंने कुछ हलकों द्वारा आलोचना का सामना कर रही पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि उसने हमेशा ही लोगों की मदद की है और इस बात का जिक्र किया कि उनमें से 33,000 से अधिक ने आजादी के बाद से ड्यूटी के दौरान अपनी शहादत दी है।

दरअसल, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करने को लेकर पुलिस कुछ हलकों की आलोचनाओं का सामना कर रही है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और असम में कई प्रदर्शनकारी पुलिस की कथित गोलीबारी में मारे गये हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने हाल ही में दिल्ली की अनाज मंडी में लगी आग के दौरान लोगों को उनका धर्म पूछकर नहीं बचाया था।

उन्होंने इन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिकार देने का समर्थन करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की टिप्पणियों को भी उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के चलते अपने रुख् बदल लिया है। पाकिस्तान से आए प्रताड़ित हिंदुओं और सिखों को भारत द्वारा शरण दिए जाने के महात्मा गांधी की टिप्पणी को उद्धृत करते हुए मोदी ने कहा कि यह कानून उनकी भावनाओं के अनुरूप है।

उन्होंने कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेहरु-गांधी परिवार पर स्पष्ट तंज करते हुए कहा कि जो लोग 'गांधी' उपनाम से फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें यह पढ़ना चाहिए कि उन्होंने क्या कहा था। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल घुसपैठियों और प्रताड़ना के चलते भारत में शरण लेने वाले लोगों में कोई भेद नहीं करना चाहती। मोदी ने मुस्लिम देशों से मिले समर्थन और उनमें से कई देशों द्वारा उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसने कांग्रेस और उसके मित्रों को भयभीत कर दिया।

उन्होंने कहा, ''वे लोग इससे चिंतित हो गये हैं कि यदि दुनिया भर के मुस्लिम मेरा इतना अधिक समर्थन करते हैं तो वे भारतीय मुस्लिमों को कब तक (मेरे खिलाफ) डरा सकेंगे।'' मोदी ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध उनके शासन में मजबूत हुआ है। उन्होंने पुरानी दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद के भाग लेने पर तंज करते हुए कहा कहा कि संशोधित कानून से सबसे ज्यादा लाभान्वित दलित ही होंगे।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.