प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार, 19 मार्च को कोरोना संकट पर देश के नाम संबोधन में कहा कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में भी इतने देश प्रभावित नहीं हुए थे जितना की कोरोना वायरस से हुए हैं।उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण पूरा विश्व संकट से गुजर रहा है और प्रत्येक भारतीय को सतर्क रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह मानना गलत है कि भारत पर कोरोना वायरस का असर नहीं पड़ेगा। ऐसी महामारी में 'हम स्वस्थ, जगत स्वस्थ' मंत्र काम आ सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में एक भाव उभरा है कि सबकुछ ठीक है, यह मानसिकता ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि आप सड़कों पर घूमते रहेंगे, बाजारों में जाते रहेंगे, और स्थिति से बचे रहेंगे, यह सोच ठीक नहीं है। मुझे आपके कुछ हफ्ते, कुछ समय चाहिए। मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए कोई मुक्कमल उपाय नहीं मिला है न ही कोई टीका विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि 60 से उपर की आयु वाले लोग घरों से बाहर नहीं निकलें और बहुत जरूरी होने पर ही घरों से निकलें।
पीएम मोदी ने जनता से 22 मार्च रविवार को 'जनता कर्फ्यू' लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक देशवासियों से एक समर्थन मांग रहा हूं 'जनता कर्फ्यू, जनता के लिए, जनता के द्वारा', क्योंकि यह खुद पर लगाने वाला कर्फ्यू है।
पीएम मोदी ने कहा कि 22 मार्च रविवार को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करना चाहिए। इस दौरान न सड़क पर जाए, न मोहल्ला में जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए, आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।
पीएम मोदी का पूरा भाषण
प्यारे देशवासियो,
पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है। आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ राज्यों या देशों तक सीमित रहता है। लेकिन इस बार यह संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर में पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे, जितने आज कोरोना की बीमारी से हैं।
पिछले 2 महीने से हम निरंतर दुनियाभर से आ रहे कोरोना वायरस से जुड़ीं चिंताजनक खबरें देख रहे हैं, सुन रहे हैं। इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया। सभी ने सावधानियां बरतने का भरसक प्रयास भी किया है। लेकिन बीते कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है, माहौल बन रहा है कि हम संकट से बचे रहेंगे। निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना, सतत रहना बहुत आवश्यक है।
आपसे मैंने जब भी और जो भी मांगा है, देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की कीमत है कि हम सभी मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। आज हम 130 करोड़ देशवासियों से कुछ मांगने आए हैं। मुझे आपसे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए, आने वाला कुछ समय चाहिए।
अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। दुनिया के जिन देशों में कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है, वहां अध्य्यन में एक और बात सामने आई है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक जैसे बीमारी का विस्फोट हुआ है। इन देशों में संक्रमितों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार इस वैश्विक महामारी के फैलाव के ट्रैक रेकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखी हुई है। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने जरूरी फैसले भी किए और अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला है।
भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश, वह देश जो विकास के लिए प्रत्यनशील है, उस पर कोरोना का यह संकट सामान्य बात नहीं है। आज जब बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम इस वैश्विक महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, यह मानना गलत है। इसलिए इसका मुकाबला करने के लिए 2 बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला संकल्प और दूसरा संयम।
आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालने करेंगे। हमें संकल्प लेना होगा कि हम खुद संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को संक्रमित होने से बचाएंगे। हम स्वस्था तो जगत स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस बीमारी से बचने के लिए दूसरी अनिवार्यता है- संयम। संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना, सोशल डिस्टेंसिंग। यह बहुत ही ज्यादा आवश्यक और कारगर है। हमारा संकल्प और संयम इस वैश्विक महामारी के प्रभाव को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
इसलिए अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं, आपको कुछ नहीं होगा तो आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे और कोरोना से बचे रहेंगे तो यह सोच नहीं है। ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। इसलिए मेरा सभी देशवासियों से आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें। जितना संभव हो सके, आप अपना काम हो सके तो अपने घर से ही करें। जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं, जनप्रतिनिधि हैं, मीडिया से जुड़े हैं, इनकी सक्रियता तो जरूरी है लेकिन बाकी बचे लोगों को खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। हमारे परिवार में जो भी 60-65 साल से ज्यादा उम्र के लोग हों, वे आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें। मैं इसे दोहरा रहा हूं।
हो सकता है कि वर्तमान पीढ़ी कुछ पुरानी बातों से परिचित नहीं होगी। जब हम छोटे थे और जब युद्ध जैसी स्थिति होती थी तो गांव-गांव ब्लैकआउट कर दिया जाता था। शीशे पर भी कागज लगा दिया जाता था। लाइट बंद रखी जाती थी। रोज रात भर चौकी किया करते थे। युद्ध न हो तो भी साल में एक दो बार तो इसका ड्रिल भी करता था प्रशासन। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। यह है जनता कर्फ्यू। जनता कर्फ्यू यानी जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू। इस रविवार यानी 2 दिन के बाद 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है।
इस जनता कर्फ्यू के दरम्यान कोई भी नागरिक घरों से बाहर मत निकले, न सड़क पर जाए, न मोहल्ला में जमा हो। हां, जो आवश्यक कार्यों से जुड़े हुए हैं, उन्हें तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। लेकिन एक नागरिक के नाते न हम जाएं और न हम देखने के लिए जाएं। 22 मार्च को हमारा यह प्रयास, हमारा आत्मसंयम देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक मजबूत प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की सफलता, उसका अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वे जनता कर्फ्यू का पालन कराने का नेतृत्व करें।
हमारे देश में कई संगठन हैं, धार्मिक, सामाजिक, खेल....सबसे अनुरोध करूंगा कि अभी से लेकर रविवार तक इस जनता कर्फ्यू का संदेश लोगों तक पहुंचाएं और लोगों को जागरूक करें। आप यह भी कर सकते हैं कि हर दिन 10 नए लोगों को फोन करके उन्हें जनता कर्फ्यू की बात समझाएं। मेरे प्यारे देशवासियों यह जनता कर्फ्यू हमारे लिए एक कसौटी की तरह होगा। यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, यह परखने और देखने का भी समय है।
आपके इन प्रयासों के बीच जनता कर्फ्यू के दिन 22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं। साथियो, पिछले 2 महीने से लाखों लोग अस्पतालों में, दफ्तरों में, सड़की की गलियों में दिन-रात काम में जुटे हुए हैं। चाहें डॉक्टर हों, नर्सेज हों, हॉस्पिटल का स्टाफ हो, एयरलाइंस का कर्मचारी हो, सरकारी कर्मचारी हों, पुलिसकर्मी हों, मीडियाकर्मी हों, रेलवे, बस, ऑटो सुविधा से जुड़े लोग हों, होम डिलिवरी करने वाले लोग हों- ये लोग अपनी परवाह न करते हुए, दूसरों की सेवा में लगे हुए हैं। ये सेवाएं सामान्य नहीं कही जा सकती हैं। ये खुद भी संक्रमित होने का खतरा मोल लेते हैं, लेकिन अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ये अपने आपमें राष्ट्ररक्षक की तरह कोरोना महामारी और हमारे बीच में एक शक्ति बनकर खड़े हैं।
देश ऐसे सभी छोटे-बड़े व्यक्तियों और संगठनों का कृतज्ञ है। मैं चाहता हूं कि 22 मार्च को रविवार के दिन हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें। और धन्यवाद अर्पित करने का तरीका भी देश के एक-एक व्यक्ति को जोड़ सकता है। रविवार को यानी जनता कर्फ्यू के दिन शाम के ठीक 5 बजे हम अपने-अपने घर के दरवाजों पर या खिड़कियों, बॉलकनी में खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें। और आभार कैसे व्यक्त करेंगे- ताली बजाकरके, थाली बजाकरके, घंटी बजाकरके हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें। पूरे देश के स्थानीय प्रशासन से भी मेरा आग्रह है कि 22 मार्च को 5 बजे सायरन बजाकर इसकी सूचना लोगों तक पहुंचाएं। सेवा परमो धर्मः के हमारे संस्कारों को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाव व्यक्त करने चाहिए।
संकट के इस समय में आपको यह भी ध्यान रखना है कि हमारी आवश्यक सेवाओं पर, हमारे हॉस्पिटलों पर दबाव बढ़ना नहीं चाहिए ताकि हमारी हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को, हमारे डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ को इस महामारी के लिए प्राथमिकता देने की सुविधा बने। और इसलिए मेरा सभी देशवासियों से आग्रह है कि रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाने की आदत से बचना चाहिए।
आपको बहुत जरूरी लग रहा हो तो अपने जान-पहचान वाले डॉक्टर, फैमिली डॉक्टर या रिश्तेदारी वाली डॉक्टरों से फोन पर ही सलाह ले लें। अगर आपने ऐसे किसी सर्जरी की डेट ले रखी हो जो तत्काल जरूरी न हो तो इसे भी आगे बढ़वा दें। 1 महीने बाद की तारीख ले लें।
इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्री के नेतृत्व में एक कोविड-19 इकनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया है। यह टास्क फोर्स सभी स्टेकहोल्डर्स से फीडबैक लेते हुए, हर परिस्थिति का आंकलन करते हुए निकट भविष्य में फैसले लेगी। यह टास्क फोर्स यह भी सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएं, उन पर प्रभावी रूप से अमल हो।
निश्चित तौर पर इस महामारी ने देश के मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीब के आर्थिक हितों को भी गहरी क्षति पहुंचा दी है। संकट के इस समय में मेरा देश के व्यापारी जगत, उच्च आय वर्ग से आग्रह है कि अगर संभव हो तो आप जिन-जिन लोगों से सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखें। हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में ये लोग दफ्तर न आ पाएं, आपके घर न आ पाएं। ऐसे में उनका वेतन न काटें। पूरी मानवीयता और संवेदनशीलता के साथ फैसला लें। हमेशा याद रखिएगा कि उन्हें भी अपना परिवार चलाना है, अपने परिवार को बीमारी से बचाना है।
मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध, खाने-पीने के सामान, दवाइयां, जीवन के लिए जरूरी ऐसी आवश्यक चीजों की कमी न हो, इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। ये सप्लाई कभी रोकी नहीं जाएगी। इसलिए मेरा आग्रह है कि जरूरी सामान संग्रह करने का होड़ मत लगाएं। पैनिक नहीं। यह कतई ठीक नहीं है।
साथियो, पिछले 2 महीने में 130 करोड़ भारतीयों ने, देश के हर नागरिक ने, देश के सामने आए संकट को अपना संकट माना है। भारत के लिए, समाज के लिए, देशवासियों से जो बन पड़ा है, किया है। हमें विश्वास है कि आने वाले समय में भी अपने कर्तव्यों का ऐसे ही निर्वाह करते रहेंगे।
कुछ कठिनाइयां भी आती हैं। अफवाहों और आशंकाओं का वातावरण भी पैदा होता है। कई बार एक नागरिक के तौर पर हमारी अपेक्षाएं भी पूरा नहीं हो पाती हैं, फिर भी यह संकट इतना बड़ा है और वैश्विक है। ऐसी स्थिति में सभी देशवासियों को इन दिक्कतों के बीच दृढ़ संकल्प के साथ इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। आज देश में केंद्र सरकार हो, राज्य सरकारें हों, स्थानीय निकाय हों, पंचायतें हों, जनप्रतिनिधि हों या सिविल सोसाइटी, हर कोई अपने-अपने तरीके से अपना योगदान दे रहा है। आपको भी अपना पूरा योगदान देना है। यह आवश्यक है कि इस महामारी के खिलाफ मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो।
आने वाले कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है। ये शक्ति उपासना का पर्व है। भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े, इस संकल्प को लेकर, आवश्यक संयम का पालन करते हुए आओ, हम भी बचें, देश भी बचाएं, जग को भी बचाएं। फिर एक बार आग्रह करूंगा जनता कर्फ्यू के लिए, सेवा करने वालों के धन्यवाद के लिए। आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)