दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा में मृतकों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 42 पहुंच गई। धुएं का गुबार छंटने के बाद शहर में तीन दशक के सबसे बुरे दंगों से हुआ वास्तविक नुकसान अब सामने आ रहा है। वहीं आशंकाओं के बीच लोग काम के लिये घरों से बाहर निकलते दिखे और हिंसा प्रभावित इलाकों में कुछ दुकानें एवं अन्य प्रतिष्ठान भी खुले।
Death toll in #DelhiViolence rises to 42 pic.twitter.com/SXtSyN6bQC
— ANI (@ANI) February 28, 2020
निगम कर्मी जहां चार दिन की सांप्रदायिक हिंसा के बाद उत्तर-पूर्व दिल्ली की सड़कों एवं गलियों से पत्थर, कांच के टुकड़े और मलबे साफ करते दिखे वहीं कुछ दुकानदार अपनी जली हुई और टूटी-फूटी दुकानों का मायूसी से मुआयना करते नजर आए। पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के कर्मी मस्जिदों में जुमे की नमाज के मद्देनजर सख्त चौकसी बरतते नजर आए।
कुछ स्थानों पर दुकानें एवं प्रतिष्ठान खुले और सड़कों पर कुछ और निजी वाहन भी नजर आए। कुछ इलाकों में ऑटो और ई-रिक्शा भी चलने शुरू हुए जब लोग काम के लिए या जरूरी कार्यों के लिए घर से बाहर निकलने शुरू हुए।
पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि वे अफवाहों को रोकने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं और लोगों के बीच भरोसा पैदा करने के लिए प्रभावित इलाकों के आस-पड़ोस में नियमित रूप से फ्लैग मार्च और बातचीत कर रहे हैं।
रविवार से दिल्ली पुलिस आयुक्त का पदभार संभालने जा रहे एस एन श्रीवास्तव ने कहा, "मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि लोग सुरक्षित महसूस करें और यह भी कि पुलिस उनके साथ है।"
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में प्रभावित इलाकों में 331 शांति बैठकों को आयोजन हुआ है। श्रीवास्तव को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से वापस भेजा गया है और इस हफ्ते दिल्ली में हिंसा शुरू होने के बाद उन्हें दिल्ली पुलिस का विशेष आयुक्त (कानून-व्यवस्था) नियुक्त किया गया।
दंगा प्रभावित इलाकों की स्थानीय मस्जिदों ने शांति एवं सौहार्द बनाए रखने की अपील की और घोषणाएं की कि लोग अफवाहों पर यकीन न करें और पुलिस के साथ सहयोग करें। कई लोगों के गंभीर रूप से घायल होने के चलते मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका के बीच दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 39 लोगों की मौत हुई है।
उत्तरपूर्व दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा जैसे इलाकों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं। जीटीबी अस्पताल के बाहर, बेचैनी बढ़ी हुई थी जहां लोग अपने प्रियजनों के शव लेने के लिए शवगृह के बाहर प्रतीक्षा कर रहे थे। वहीं अस्पताल में भर्ती कई लोग जिंदगी की जंग लड़ रहे थे।
उत्तरपूर्व जिले के प्रभावित इलाकों में सोमवार से करीब 7,000 अर्द्धसैनिक बल तैनात हैं। शांति कायम रखने के लिए दिल्ली पुलिस के सैकड़ों कर्मी ड्यूटी पर हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार रात को कहा कि पिछले 36 घंटों में उत्तरपूर्वी जिले से कोई भी बड़ी घटना सामने नहीं आई है।
मंत्रालय ने कहा कि स्थिति सुधरने पर धारा 144 के तहत लगाई गई पाबंदियों में 10 घंटे की ढील दी जाएगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा लिखा गया है।