दुनियाभर में आंतकवाद के वित्तपोषण (टेरर फाइनैंसिंग) और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के मामलों पर नजर रखने वाली संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान से फिर से 150 सवाल पूछे हैं। इनमें ज्यादातर सवाल पाकिस्तान की इमार खान सरकार की ओर से आतंकवाद पर की गई कार्रवाइयों से संबंधित हैं। पाकिस्तान को इन सवालों के जवाब 8 जनवरी तक देने हैं।
एफएटीएफ ने पाकिस्तानी प्राधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो लोग भी आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं उन्हें कोर्ट में दोषी ठहराया जाए। इस वैश्विक संस्थान ने पाकिस्तान में चल रहे मदरसाओं को साफ-सुथरा बनाने के लिए की गई कानूनी-कार्रवाइयों का ब्यौरा भी मांगा है।
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने वहां के वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर दी कि पाकिस्तान ने 7 दिसंबर को ही एफएटीएफ के 22 सवालों का जवाब दिया था। उन्हीं जवाबों पर एफएटीएफ ने दोबारा 150 सवाल पूछ डाले। अब पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग पर नए सवालों के जवाब देने होंगे।
पाकिस्तान एफएटीएफ को यह भी बताएगा कि उसने पैसे की सीमा पार अवैध आवाजाही पर रोक के लिए कौन-कौन से कदम उठाए। 7 दिसंबर को पाकिस्तान ने जो कंप्लायंस रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूहों पर इमरान सरकार के ऐक्शन और उन्हें कोर्ट से मिली सजा के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
एफएटीएफ की मीटिंग अगले साल फरवरी में होने वाली है जिसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला जाए या नहीं। पिछले वर्ष फरवरी में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला गया था। पाकिस्तान इस उम्मीद में है कि अगली बैठक में भी उसे ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला टल जाएगा और उसे जून 2020 तक की नई मियाद मिल जाएगी।
हालांकि, एफएटीएफ ने पिछली मीटिंग में पाकिस्तान को सख्त लहजे में कहा था कि अगर उसने तय समयसीमा में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर-टेरर फाइनैंसिंग के 27 में से बाकी बचे 22 बिंदुओं पर उचित कार्रवाई नहीं की तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाएगा।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.