कांग्रेस के बागी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार, 10 मार्च को नई दिल्ली में पीएम के आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद, पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिये अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने जो त्यागपत्र साझा किया है उस पर नौ मार्च की तिथि है।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 10, 2020
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे त्यागपत्र में सिंधिया ने कहा, ''अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है। मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम में हूं।''
इसके साथ ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा गया है। हालांकि, कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सिंधिया को निष्कासित किया गया है।
मध्य प्रदेश के कांग्रेस के 17 विधायकों एवं मंत्रियों के बेंगलुरु में होने की खबर है। ये सिंधिया के करीबी बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि सिंधिया के कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उनके समर्थक विधायक भी उनके साथ जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने का खतरा है।
राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। भाजपा के 107 विधायक हैं।
उधर, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, ''कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने को स्वीकृति प्रदान की।"
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने आखिरी समय तक सिंधिया को मनाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने सोमवार रात इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल के नए सिरे से गठन किया जाएगा।
सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के फोन सोमवार को बंद हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कई नेताओं ने आखिरी समय पर सिंधिया से संपर्क साधने के प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
सिंधिया ने अपने पिता माधवराव सिंधिया की जयंती के दिन कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की। माधवराव सिंधिया की जयंती पर मध्य प्रदेश भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें याद किया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार की देर रात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अपने आवास पर बैठक की। बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल रहे।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है। केंद्र में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है। कमलनाथ सरकार के गिरने की स्थिति में बनने वाली नई सरकार में सिंधिया खेमे को एक उपमुख्यमंत्री पद भी भाजपा दे सकती है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सिंधिया तक बात पहुंचा दी गई है।
यहां अगर आंकड़ों का गेम देखें तो गेंद भारतीय जनता पार्टी के पाले में जाती दिख रही है। अभी मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिसमें से दो विधायकों के निधन होने की वजह से दो सीटें रिक्त हैं। ऐसे में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 228 है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 115 हुआ। अभी कांग्रेस के पास 114, भाजपा के पास 107, सपा के पास 1, बसपा के पास 2 और निर्दलीय चार विधायक हैं। सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन है।
अगर बेंगलुरु गए 17 विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो विधानसभा के सदस्यों की संख्या 211 रह जाती है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा होगा 106। कांग्रेस के पास केवल 97 विधायक रह जाएंगे और भाजपा के साथ 107 विधायक होंगे। अगर सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो वह बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। इन सबके समर्थन के साथ कांग्रेस के पास 104 विधायक होंगे। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस तरह सत्ता भाजपा के हाथों में जा सकती है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई/आईएनएस के इनपुट के साथ)