केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है, जो पिछले साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी।
इससे कम 4.9% अप्रैल-जून 2012 में थी। पिछली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में गिरावट और कृषि उत्पादन में कमी का जीडीपी ग्रोथ पर ज्यादा असर हुआ।
अप्रैल-जून 2019 की यह जीडीपी वृद्धि दर पिछले साल इसी तिमाही की वृद्धि दर 8 फ़ीसदी की अपेक्षा काफ़ी कम है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने शुक्रवार को यह आँकड़ा जारी किया है। पाँच फ़ीसदी की यह वृद्धि दर 25 क्वार्टर में सबसे कम है।
बता दें कि 8 अगस्त को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अप्रैल-सितंबर के दौरान अर्थव्यवस्था के 5.8-6.6 फ़ीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी। हालाँकि यह उसके जून की 6.4-6.7 फ़ीसदी की उम्मीद से भी कम थी।
देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा।
जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अनुकूल है, जो महज 3.6 फीसदी रही थी, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.1 फीसदी था।
बार-बार आने वाले आर्थिक सूचकों, जैसे वाहनों की बिक्री, रेल फ्रेट, डॉमेस्टिक एयर ट्रैफिक ऐंड इंपोर्ट्स (नॉन ऑइल, नॉन गोल्ड, नॉन सिल्वर, नॉन प्रेसियस और सेमी प्रेसियस स्टोन्स) ने उपभोग खासकर निजी उपभोग में गिरावट का संकेत दिया था, जबकि महंगाई दर कम रही थी।