खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का सरगना अभी जिंदा है? जी हां, यह सवाल एक बार फिर दुनिया के सामने खड़ा हो गया है। दरअसल, सोमवार को आतंकी संगठन द्वारा जारी किए गए एक प्रॉपेगैंडा विडियो में IS का सरगना अबू बकर अल-बगदादी पिछले पांच वर्षों में पहली बार देखा गया है। अभी स्पष्ट नहीं है कि यह विडियो कब शूट किया गया। हालांकि सीरिया में आईएस के आखिरी गढ़ बागूज के लिए लड़ाई का बगदादी ने पास्ट टेंस में जिक्र किया है।
As devilish as the prophet Muhammad - #Baghdadi - unfortunate still alive. #stopislampic.twitter.com/DOD0RqibJi
— Geert Wilders (@geertwilderspvv) April 29, 2019
आपको बता दें कि आतंकियों के खिलाफ महीनों तक चली यह लड़ाई फरवरी के आखिर में खत्म हुई। अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेना और सीरिया डेमोक्रैटिक फोर्स ने इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए बड़े पैमाने पर आतंकियों का सरेंडर कराया था। प्रॉपेगैंडा विडियो में बगदादी कहता है, 'बागूज के लिए लड़ाई खत्म हो चुकी है।' उसे तीन आदमी सुनते दिखते हैं, जिनके चेहरों को ब्लर किया गया है। कुछ साल पहले तक सीरिया और इराक के बड़े भूभाग पर IS का कब्जा था, लेकिन अब उसकी हालत काफी पतली हो गई है।
बगदादी का यह विडियो ऐसे समय में सामने आया है जब श्री लंका में एक हफ्ते पहले हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से पूरी दुनिया सन्न है। दरअसल, IS की बर्बादी के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि उसके आतंकी अब अपने-अपने देशों में हमलों की साजिश कर सकते हैं। श्री लंका हमलों की जिम्मेदारी IS ने ली है और उसमें स्थानीय नागरिकों का ही नाम सामने आया है। ऐसे में आतंकी संगठन की नई साजिश से एक खतरनाक संकेत भी उभरते दिखते हैं। इससे पहले जून 2014 में बगदादी का विडियो सामने आया था।
फरवरी में खबर आई थी कि आतंकी संगठन IS में ही विद्रोह हो गया है। इसका सरगना अबू बकर अल-बगदादी जनवरी में अपने ही गुर्गों के हमले में बाल-बाल बच गया। बताया गया था कि हमले में उसके 2 बेहद भरोसेमंद आदमी मारे गए लेकिन वह बच गया। ब्रिटिश अखबार The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक बगदादी पर यह हमला 10 जनवरी को पूर्वी सीरिया में हाजिन के नजदीक एक गांव में हुआ था, जिसके बाद वह अंगरक्षकों के साथ पास के रेगिस्तान में भाग गया।
बागूज की लड़ाई के बाद आतंकियों में डर इस कदर देखा गया था कि वे सैनिकों पर हमला करने की बजाय लाइन लगाकर सरेंडर करते जा रहे थे। फोर्सेज ने इन आतंकियों को सरेंडर कराकर 36 ट्रकों में इनके परिवारों के साथ रवाना किया था। इससे पहले आतंकियों पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने हवाई हमले किए थे।