नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर पूरे देश में जारी बहस और गफलत के माहौल के बीच के बीच मोदी सरकार ने जनगणना 2021 पर काम करना शुरू कर दिया है।
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी द्वारा गुरुवार को अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में जनगणना 2021 के फॉर्म में पूछे जाने वाले सवालों के बारे में जानकारी दी गई है।
महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, जनगणना अधिकारियों को एक अप्रैल से 30 सितंबर तक चलने वाली गृह सूचीकरण और गृह जनगणना की कवायद के दौरान हर परिवार से जानकारी हासिल करने के लिए 31 प्रश्न पूछने के निर्देश दिए गए हैं।
जनगणना के वक्त आपसे पूछे जाने 31 सवाल यह होंगे :
1. भवन संख्या
2. जनगणना मकान नंबर
4. मकान की फर्श, दीवार और छत में प्रयुक्त सामग्री
5. मकान के इस्तेमाल का उद्देश्य़
6. मकान नंबर
7. घर में रहने वाले लोगों की संख्या
8. घर के मुखिया का नाम
9. घर के मुखिया का लिंग
10. घर के मुखिया क्या अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य समुदाय से आते हैं
11. मकान के स्वामित्व की स्थिति
12. परिवार के पास रहने के लिए उपलब्ध कमरों की संख्या
13. मकान में विवाहितों की संख्या
14. पीने के पानी का मुख्य स्त्रोत
15. पीने के पानी के स्त्रोतों की उपलब्धता
16. रौशनी का मुख्य स्त्रोत
17. शौचालय की सुलभता
18. शौचलय के प्रकार
19. गंदे पानी की निकासी किससे जुड़ी हुई है
20. स्नान की सुविधा
21. रसोई गैस और एलपीजी गैस कनेक्शन की उपलब्धता
22. खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाला मुख्य ईंधन
23. रेडियो
24. टेलीविजन
25. इंटरनेट की सुविधा
26. लैपटॉप/कंप्यूटर
27. टेलिफोन/मोबाइल फोन/स्मार्टफोन
28. साइकिल/स्कूटर/मोटरसाइकिल/मोपेड
29. कार/जीप/वैन
30. घर में इस्तेमाल होने वाला मुख्य अनाज
31. मोबाइल नंबर (सिर्फ जनगणना के काम में इस्तेमाल के लिए)
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि मोबाइल नंबर सिर्फ जनगणना के मकसद से ही पूछा जाएगा और उसका इस्तेमाल किसी और प्रयोजन के लिए नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि हर दस साल में एक बार जनगणना की जाती है, इससे पहले 2011 में जनगणना हुई थी और अब 2021 में हो रही है।
गौरतलब है कि भारत की जनगणना 2021 की कवायद के लिये 8,754.23 करोड़ रूपये के खर्च को मंजूरी दी गई। वहीं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के उन्नयन के लिये 3,941.35 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक जनगणना के लिये कोई लम्बा फार्म नहीं भरना होगा। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिये किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। इसके लिये एक मोबाइल ऐप भी बनाया गया है।
इस जनगणना की संदर्भ तिथि एक मार्च, 2021 होगी, लेकिन जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए यह तिथि एक अक्टूबर, 2020 होगी। 2021 की यह जनगणना पारंपरिक पेन और पेपर के बजाय मोबाइल फोन एप्लीकेशन के जरिये होगी।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) भी सितंबर, 2020 तक तैयार करने का फैसला किया है और इसकी कवायद जनगणना के गृह सूचीकरण चरण के साथ चलती रहेगी। इसकी अधिसूचना भी जल्द जारी होने की संभावना है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.