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बापू के लेख, उनके कहे शब्द और उनके जीवन के आदर्शो की गूंज आज उनकी 150वीं जयंती पर देश के कोने कोने में सुनायी देती रही। गांव-कस्बों से लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक बापू को याद किया गया और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। लेकिन इसके साथ ही विभिन्न दलों के बीच महात्मा गांधी की विरासत पर कब्जा जमाने की होड़ भी देखने को मिली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और गली मोहल्ले के स्कूलों से लेकर डांडी के तटों तक बापू को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए, उनके आदर्शो को जीवन में अपनाने का वचन लिया गया। देश के आजादी के आंदोलन को आकार देने में उनकी महती भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्हें याद किया गया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्र ने बापू को राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने कहा कि गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रवाद की जो परिकल्पना की थी, वह कभी ''संकीर्ण '' नहीं थी। उन्होंने इस अवसर पर ''आइंस्टाइन चुनौती'' का प्रस्ताव किया।

मोदी ने न्यूयार्क टाइम्स में एक लेख में लिखा है, ''हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि गांधी के आदर्शो को भावी पीढ़ियां याद रखेंगी? मैं विचारकों, उद्यमियों और तकनीकी शिक्षकों को नवोन्मेष के जरिए गांधीजी के विचारों के प्रसार के लिए अग्रिम कतार में आने के लिए आमंत्रित करता हूं।'' इस लेख को ''भारत और विश्व को गांधी की जरूरत क्यों है?'' शीर्षक दिया गया।

प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, ''हम उनके सपनों को पूरा करने तथा एक बेहतर धरती की रचना करने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करने का वचन लेते हैं।'' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मानवता के प्रति उनके स्थायी योगदान के लिए राष्ट्र उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता है। इस अवसर पर मोदी गुजरात भी गए और साबरमती आश्रम में लोगों को संबोधित किया।

सरकार ने गांधी जयंती पर स्वच्छता को अपनाने, एकल उपयोग प्लास्टिक के खतरों से लोगों को अवगत कराने तथा भारत को खुले में शौच से मुक्त करने की प्रतिबद्धता भी याद दिलायी।

हालांकि बापू की जयंती पर कांग्रेस और भाजपा के बीच उनकी विरासत पर दावेदारी को लेकर रस्साकशी भी दिखाई दी। दोनों ही दलों ने बढ़ चढ़ कर रैलियों और यात्राओं का आयोजन किया।

एक तरफ, भाजपा ने गांधी जयंती के मौके पर देशभर में चार माह तक चलने वाले कार्यक्रमों की योजना बनायी है और शाह इसके केंद्र में हैं। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में अपने संबोधन के बाद 'गांधी संकल्प यात्रा' को हरी झंडी दिखाई जबकि बाकी वरिष्ठ नेताओं ने देश के अन्य भागों में ऐसे ही कार्यक्रमों में शिरकत की। शाह ने अपने संबोधन में कहा कि नरेन्द्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने गांधी जी के समान ही स्वच्छता को जनांदोलन का रूप दिया है। उन्होंने साथ ही जनता से एकल उपयोग प्लास्टिक का त्याग करने की भी अपील की।

उधर, कांग्रेस ने भगवा पार्टी के मुकाबले में कई रैलियों और पदयात्राओं का आयोजन किया। संभवत: यह पहली बार था जब उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी तीनों हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गांधी के आदर्शो का प्रचार प्रसार करने के लिए सड़कों पर निकले।

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सोनिया गांधी ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि झूठ फैलाने में लगे लोग बापू के आदर्शो को नहीं समझ सकते। उन्होंने साथ ही दावा किया कि कांग्रेस की एकमात्र ऐसी पार्टी है जो उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करती आ रही है और उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही है।

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उनके पुत्र और लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने दिल्ली कांग्रेस कार्यालय से लेकर राजघाट तक पार्टी कार्यकर्ताओं के मार्च की अगुवाई की जबकि उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने लखनऊ में एक कार्यक्रम में शिरकत की।

राष्ट्रीय राजधानी में शाह के अलावा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह समेत शीर्ष नेताओं ने सभाओं की अगुवाई की। साथ ही अहिंसा, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता तथा खादी के इस्तेमाल सहित बापू के अन्य आदर्शो को अपनाने की शपथ ली। भाजपा ने इस मौके पर अपने मार्च को ''संकल्प यात्रा '' का नाम दिया तो वहीं कांग्रेस ने इस ''गांधी संदेश यात्रा'' बताया।

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि भगवा पार्टी जो मर्जी दावा करती रहे, केवल कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बापू के दिखाए रास्ते पर चल रही है और उसी रास्ते पर चलते हुए लोगों को रोजगार, शिक्षा और किसानों को सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही समाज के वंचित वर्ग के उत्थान में लगी है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने इसी क्रम में कहा, ''जो लोग झूठ की राजनीति करते हैं वे कैसे समझ सकते हैं कि गांधीजी सचाई के पुजारी थे? जो लोग सत्ता के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार रहते हैं, वे कैसे समझ सकते हैं कि गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे।''

उन्होंने सत्ता पक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ''सत्ता के भूखे लोग कैसे गांधीजी के स्वराज का अर्थ समझ सकते हैं? जो मौका मिलते ही सबसे पहले खुद को सर्वेसर्वा होने का दावा करते हैं, वे गांधी जी की निस्वार्थ सेवा को कैसे समझ सकते हैं?''

गांधी जयंती के मौके पर गुजरात में उनसे जुड़े स्थलों पर प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। साबरमती आश्रम में गांधी जी के घर हृदय कुंज में स्कूली बच्चे एकत्रित हुए और सर्वधर्म प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया। डांडी समुद्र तट पर एक विशाल स्वच्छता अभियान भी चलाया गया । यह स्थल गांधीजी के ऐतिहासिक ''नमक सत्याग्रह'' से जुड़ा रहा है।

मुंबई के मणि भवन में चरखा काता गया। शहर में रहने के दौरान बापू इसी मकान में रहे थे। राष्ट्रीय आधुनिक कला वीथी में स्वदेशी, अहिंसा, सच्चाई और सत्याग्रह जैसे विषयों पर चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।