देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अब तक कोरोना वायरस के कुल संक्रमित मामलों में से 4291 मामले दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में मार्च में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। यह जानकारी शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी।
देश में कोविड-19 की स्थिति को लेकर आयोजित दैनिक संवाददाता सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त आयुक्त लव अग्रवाल ने कहा कि मरकज में हुए कार्यक्रम से जुड़े अधिकतर मामले राज्यों से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु में 84 फीसदी, तेलंगाना में 79 फीसदी, दिल्ली में 63 फीसदी, उत्तरप्रदेश 59 फीसदी और आंध्रप्रदेश से 61 फीसदी है।
#WATCH Out of total 14378 cases, 4291 (29.8%) cases are related to Nizamuddin Markaz cluster from single source&affected 23 States&UTs. 84% cases in TN, 63% cases in Delhi, 79% cases in Telangana, 59% cases in UP & 61% in Andhra Pradesh are related to the event: Health Ministry pic.twitter.com/UMsz1hx3tz
— ANI (@ANI) April 18, 2020
उन्होंने कहा, ''कोविड-19 के कुल 14,378 मामलों में से 4291 मामले या 29.8 फीसदी तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।''
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में कोविड-19 संक्रमण के मामले कम हैं लेकिन वहां भी मरकज के कार्यक्रम से जुड़े मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए अरूणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस का एकमात्र मामला मरकज में हुए कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। इसी तरह असम में 35 में से 32 मामले और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में 12 में से 10 मामले जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में शुक्रवार की सुबह से 24 घंटे के अंदर कोविड-19 के 991 नये मामले और 43 लोगों के मरने की सूचना है जिससे संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 14 हजार 378 और मृतकों की संख्या 480 हो गई है।
अग्रवाल ने कहा कि अभी तक कोविड-19 से 1992 मामले यानी 13.85 फीसदी रोगी ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 से मरने की दर 3.3 फीसदी है।
अग्रवाल ने कहा, ''मरने वालों में 75.3 फीसदी 60 वर्ष या अधिक उम्र के हैं और 83 फीसदी मामलों में मरीज अन्य रोगों से भी ग्रस्त पाए गए।''
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा कि राज्यों के साथ भी त्वरित एंटीबॉडी जांच किट के इस्तेमाल के प्रोटोकॉल साझा किए गए हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.