चीन में कोरोनावायरस प्रकोप से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 213 पर पहुंच गई है और संक्रमण की चपेट में आने वालों की संख्या 9,692 हो गई है. सरकार की तरफ से शुक्रवार को दी गई जानकारी के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन/डब्ल्यूएचओ ने भारत समेत दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देशों में फैले खतरनाक कोरोना वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर दिया है.
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि प्रकोप का केंद्र माने जा रहे अकेले हुबेई में हुई 43 मौतों के साथ मृतकों की संख्या 213 पर पहुंच गई है. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग लोग शामिल हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि 1,982 नये मामलों की पुष्टि हुई है जिससे कुल संख्या 9,692 हो गई है.
सीमा की पहरेदारी करने वाले बल आईटीबीपी ने कोरोना वायरस से प्रभावित संदिग्ध लोगों को बुनियादी चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए दिल्ली में 600 बिस्तरों वाला पृथक केंद्र तैयार किया है. आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के छावला इलाके में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) कैंप में यह व्यवस्था शुरू कर दी गयी है.
कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर की जा रही तैयारियों के तहत 600 बिस्तरों वाले इस केंद्र में डॉक्टरों की एक टीम मौजूद रहेगी. पांडे ने बताया कि संक्रमण के संदिग्ध मरीज को लेकर पृथक केंद्र पर बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है. यहां पर रखे जाने वाले लोगों को खाना, पानी और बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी.
जानकारी के मुताबिक शनिवार को सुबह से ही वुहान से दिल्ली उड़ानों के आने का सिलसिला शुरू हो सकता है. एयरपोर्ट पर प्राथमिक जांच के बाद इन यात्रियों को सीधे आईटीबीपी के इस कैंप में लाया जाएगा. इस संदर्भ में सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टरों की भी टीम आईटीबीपी के डॉक्टरों की सहायता करेगी. सफदरजंग अस्पताल इस केंद्र के सीधे संपर्क में रहेगा.
करीब 90,000 कर्मियों वाला आईटीबीपी चीन के साथ लगी 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की हिफाजत करता है. यह बल केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है. सेना ने भी मानेसर (हरियाणा) में इसी तरह का इंतजाम किया है.
भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और फ्रांस समेत करीब 20 देशों ने चीन से आने वाले यात्रियों में विषाणु की पुष्टि की है. गुरुवार को जिनेवा में आपात बैठक बुला कर डब्ल्यूएचओ ने इस प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया. यह दुर्लभ स्थिति जिसमें बीमारी से निपटने में अधिक अंतरराष्ट्रीय समन्वय को बढ़ाने के लिए जरूरत पड़ती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख तेदरोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने कहा, 'हमारी सबसे बड़ी चिंता विषाणु के उन देशों में फैलने की आशंका को लेकर है जहां स्वास्थ्य तंत्र कमजोर है.' उन्होंने इस वायरस को अंतरराष्ट्रीय चिंता की जन स्वास्थ्य आपदा (पीएचईआईसी) घोषित किया.
डब्ल्यूएचओ की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने प्रेस को दिए बयान में कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद से, चीन की सरकार लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी का अहसास करते हुए अधिक समावेशी और कठिन बचाव एवं नियंत्रण कदम उठा रही है.''
उन्होंने कहा इनमें से कई कदम अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमनों की जरूरत से काफी बेहतर हैं. प्रवक्ता ने कहा, 'हमारे पास इस महामारी से लड़ाई जीतने का पूर्ण विश्वास एवं क्षमता है.' उन्होंने कहा कि साथ ही चीन ने अन्य सभी को सूचित किया और समय रहते पूरे खुलेपन, पारदर्शिता और जिम्मेदार नजरिए के साथ कोरोना वायरस के जीनोम अनुक्रम को साझा किया है. हुआ ने कहा कि चीन डब्ल्यूएचओ के साथ करीब से संपर्क एवं सहयोग में है.
उन्होंने कहा, 'डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों ने हाल ही में वुहान का दौरा किया. महानिदेशक तेदरोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने भी चीन का दौरा किया और चीनी पक्ष के साथ 2019-एनसीओवी की रोकथाम एवं खात्मे पर चर्चा की.' शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने उनके बयान के हवाले से कहा कि तेदरोस ने कोरोना वायरस से लड़ कर विश्व को दिए गए चीन के योगदान एवं उसके प्रयासों की सरहाना की. हुआ ने कहा कि देश क्षेत्रीय एवं वैश्विक जनस्वास्थ्य सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों के साथ काम करता रहेगा.
कई एयरलाइन्स चीन तक विमानों का जाने से रोक रहे हैं या उड़ानें कम कर दी गई हैं क्योंकि देश घातक कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में संघर्ष कर रहा है. चीन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित हुबेई प्रांत के निवासियों को विदेश से वापस घर लाने के लिए चार्टर विमान भेजेगा.
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि हुबेई प्रांत के नागरिकों को विदेश में सामने आ रही 'व्यावहारिक कठिनाइयों' के चलते वापस लाया जाएगा. यह कदम चीनी अधिकारियों की उस घोषणा के बाद आया था कि कोरोना वायरस के केंद्र, हुबेई प्रांत और राजधानी वुहान से करीब 50 लाख लोग 23 जनवरी को इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर बंद किए जाने के बाद से बाहर गए हैं.
खबरों के मुताबिक इन लोगों ने चीनी नव वर्ष की छुट्टियों के मौके पर चीन के भीतर या उससे बाहर यात्रा की. भारत ने वुहान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए शुक्रवार को एअर इंडिया का 423 सीटों वाला विशाल बी747 विमान वहां भेजा. सरकार चीन के हुबेई प्रांत में रह रहे 600 भारतीयों की भारत वापस लाए जाने के बारे में अपनी इच्छा का पता लगा रही है.
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.