राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर सुझाव देने के लिए उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन के दौरान फाड़ दी.
रविवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सीसीटीवी के मुद्दे पर सभी रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के साथ हो रही बैठक को संबोधित करते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीसीटीवी पर एलजी अनिल बैजल की बनाई समिति की रिपोर्ट फाड़ दी. उन्होंने पहले जनता से पूछा ''तो इस रिपोर्ट का क्या करें?'' जनता से आवाज़ आई 'फाड़ दो'. इसके बाद केजरीवाल ने कहा ''जनता की मांग है कि इस रिपोर्ट को फाड़ दो तो जनता जनार्दन है लोकतंत्र है' और ये कहते हुए केजरीवाल ने करीब दस हज़ार की जनता के बीच वो रिपोर्ट फाड़ दी.
केजरीवाल ने उपराज्यपाल को चुनौती देते हुए कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए जा रहे सीसीटीवी कैमरों के बारे में कोई भी निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ दिल्ली की जनता के पास है। इसमें उपराज्यपाल (एलजी), दिल्ली पुलिस और बीजेपी वालों का कोई काम नहीं है.
दिल्ली भर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए लोगों की राय जानने को आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. सीसीटीवी कैमरे लगने से चोर-उचक्कों के मन में डर पैदा होगा। उन्होंने कहा कि हम पिछले तीन सालों से इस योजना को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें काम नहीं करने दिया जा रहा.
#WATCH: Delhi CM Arvind Kejriwal tears a report of a Lieutenant Governor committee on CCTV cameras in Delhi saying, ''Janta ki marzi hai ki is report ko phaad do. Janta janardan hai jantantra mein" pic.twitter.com/eE5FYSJtJ3
— ANI (@ANI) July 29, 2018
अप्रैल-मई में सीसीटीवी कैमरे लगाने का ठेका बीईएल कंपनी को मिल जाता, लेकिन उपराज्यपाल ने एक कमेटी बनाकर प्रक्रिया रोक दी. उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट दिखाते हुए केजरीवाल ने कहा कि इसमें लिखा गया है कि सीसीटीवी लगाने के लिए पुलिस से लाइसेंस लेना पड़ेगा. पुलिस से हथियारों के लाइसेंस तो दिए नहीं जाते, सीसीटीवी कैमरे के लाइसेंस कैसे देगी.
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि लाइसेंस असल में पैसा खाने का तरीका है. केजरीवाल ने कहा 'मैं आपसे पूछता हूं लाइसेंस का क्या मतलब है? पैसा चढ़ाओ लाइसेंस ले जाओ'. दरअसल केजरीवाल जिस रिपोर्ट को ख़ारिज कर रहे हैं वो एलजी अनिल बैजल के कहने पर दिल्ली के गृह सचिव मनोज परिदा की अध्यक्षता में बनाई गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए नियम, कायदे और प्रक्रिया तय करना था.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अगर किसी को भी सार्वजनिक स्थल पर सीसीटीवी कैमरा लगाना है तो वो कैमरा लगाने का उद्देश्य, कैमरा की संख्या, लोकेशन और फुटेज को रखने की सभी जानकारी दिल्ली पुलिस के डीसीपी (लाइसेंस) को देगा. डीसीपी (लाइसेंस) देखेंगे कि जो जानकारी दी गई वो नियम, कायदे और प्रक्रिया के अनुरूप है या नहीं. अगर नहीं है तो सीसीटीवी लगाने को निर्देश देकर उसको नियम के अनुरूप करवाएंगे'.
केजरीवाल के लगाए आरोप पर एलजी हाउस ने बयान जारी करके कहा है कि 'व्यक्तियों की गोपनीयता पर घुसपैठ और उससे समझौता करके सीसीटीवी के दुरुपयोग के उदाहरणों सामने आए हैं. निगरानी कैमरा सिस्टम को किसी की निजता उल्लंघन करने वाला जरिया बन की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए जिसको सुप्रीम कोर्ट में भी मौलिक अधिकार माना है. इन्ही कारणों से बाकी पूरी दुनिया में सीसीटीवी के नियमितीकरण या इंस्टालेशन और आपरेशन की नीति बनी हुई है'.
The fact that more than two lakh cameras have already been installed in the city without coordination highlights the need for a proper framework and information mechanism so that all CCTVs in public places installed in Delhi work optimally: LG Office response on CCTV issue
— ANI (@ANI) July 29, 2018
हालांकि एलजी ने कहा कि ये लाइसेंस सिस्टम नहीं बल्कि नियमों का एक ड्राफ़्ट जिसमें सीसीटीवी की सूचना का सिस्टम तैयार करने की बात है जिसको जनता के सुझाव, आपत्ति के लिए जनता के बीच रखा गया है. एलजी ने भी कहा कि दिल्ली में इस समय 2 लाख सीसीटीवी कैमरा बिना किसी सिस्टम या पॉलिसी के लगे हुए हैं.