-
Reuters

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के 25 मई को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बने भ्रम और संकट की स्थिति को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने गहरी चिंता जताई है। सोमवार को एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस जिस भ्रम और भटकाव में घिरी है, उसे देखकर चिंतित हूं।

उन्होंने राहुल के फैसले को साहसिक बताते हुए कहा कि उनका सम्मान करने की बजाय पार्टी महीने भर उनसे फैसला वापस लेने की अपील करती रही। उन्होंने कहा कि मेरी राय है कि पार्टी को बिना किसी देरी के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कार्य समिति को बैठक करनी चाहिए।

कांग्रेस के दिग्गज नेता ने अब पार्टी कार्यसमिति को जल्द से जल्द बैठक बुलाने का सुझाव दिया है। उन्होंने अनुरोध करते हुए कहा कि वर्किंग कमिटी को बिना देर किए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बैठक कर आवश्यक फैसले लेने चाहिए। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते राहुल गांधी के औपचारिक रूप से इस्तीफा देने के बाद भी पार्टी नेता अनुरोध करते दिख रहे हैं कि वह अपने फैसले पर फिर से विचार करें।

कर्ण सिंह ने सुझाव दिया है कि नया अध्यक्ष चुने जाने तक कांग्रेस पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया जाए। उन्होंने आगे कहा, 'मेरी राय में अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष/उपाध्यक्ष भी बनाए जाएं जिन्हें उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम का दायित्व दिया जाए।'

राहुल के इस्तीफा ट्वीट करने के कुछ दिन बाद ही कर्ण सिंह ने यह कड़ी टिप्पणी की है। राहुल गांधी ने वैसे तो कांग्रेस वर्किंग कमिटी को 25 मई को ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था। अब इस्तीफे की कॉपी ट्वीट किए जाने के बाद कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे धड़ाधड़ हो रहे हैं।

अपने बयान में कर्ण सिंह ने कहा, 'जितने लंबे समय तक यह अनिश्चितता बनी रहेगी, उतना ही कांग्रेस के कार्यकर्ता और देशभर के मतदाता हतोत्साहित रहेंगे।' उन्होंने साफ कहा है कि इससे पहले कि ज्यादा देर हो जाए, इस नकारात्मक स्थिति को बेहतर करने की जरूरत है।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, 'राहुल गांधी के पहले इस्तीफे को 6 हफ्ते बीत गए लेकिन कांग्रेस उधेड़बुन में दिख रही है। हमने उन्हें मनाने में 1 महीने खराब कर दिए। वह एक बुद्धिमान, सम्मान और सिद्धांत वाले व्यक्ति हैं और अगर वह इस्तीफा देना चाहते हैं तो उन्हें देने देना दीजिए।'

बता दें कि इससे पहले इस्तीफा देने से रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके विरोधी इसे दिखावा और पूर्व नियोजित रणनीति बताते हैं कि पार्टी फिलहाल एक कामचलाऊ व्यवस्था बनाना चाहती है और फिर कुछ दिनों के बाद उन्हें पद पर वापस लाया जाएगा।

जैसे घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, उसमें यह कहना मुश्किल है कि कल क्या होगा। लेकिन आज पद छोड़कर राहुल गांधी ने संसदीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण जवाबदेही का सिद्धांत को लागू किया है और लोगों का सम्मान जीता है।

उधर, राहुल ने अपने त्यागपत्र में यह संकेत दिया कि उनकी तरह दूसरों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद छोड़ने चाहिए। उसके बाद पिछले सप्ताह अचानक 400 नेताओं ने इस्तीफे सौंपे, जिनमें मुख्य रूप से युवा और मध्य स्तर के नेता थे, ताकि पार्टी को पुनर्गठित किया जा सके। वरिष्ठ नेताओं ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है। लेकिन उसकी जरूरत नहीं है, वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफे पार्टी में अव्यवस्था को और बढ़ावा ही देंगे।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।