जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की मासूम के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में सोमवार 10 जून, को सुबह विशेष अदालत के सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने सात में से छह आरोपियों को दोषी करार दिया जबकि एक को अदालत ने बरी कर दिया। दोषी लोगों के खिलाफ सजा की घोषणा दोपहर 2 बजे की जाएगी।
Kathua rape & murder case: "Persons convicted by Pathankot court are Sanji Ram, Anand Dutta, Parvesh Kumar, Deepak Khajuria, Surender Verma and Tilak Raj. Verdict yet to come on Vishal," says Advocate Mubeen Farooqui, representing victim's family. (original tweet will be deleted) pic.twitter.com/Z2fmGydfi9
— ANI (@ANI) June 10, 2019
गौरतलब है कि पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई खानाबदोश समुदाय की आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।
दोषी करार आरोपियों में मुख्य आरोपी सांझी राम भी शामिल है। सोमवार को सभी सातों बालिग आरोपी पठानकोट स्थित स्पेशल कोर्ट में मौजूद थे। आरोपियों को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। एक आरोपी नाबालिग है। किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट सुनवाई करेगा।
देश को स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई तीन जून को पूरी हुई थी। तब जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने घोषणा की थी कि 10 जून को फैसला सुनाया जा सकता है। पंद्रह पन्नों के आरोपपत्र के अनुसार पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। इस मामले में ग्राम प्रधान समेत 8 लोगों पर आरोप तय हुए। देश को स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ जानिए...
पुलिस की चार्जशीट मुताबिक, बच्ची को 10 जनवरी 2018 को अगवा कर उसे मंदिर में बंधक रखा गया था। बच्ची उस वक्त घोड़े को चरा रही थी, जब उसे अगवा किया गया था। इस दौरान उसके साथ गैंगरेप हुआ और बाद में हत्या कर दी गई थी।
मामले में 15 पन्नों की चार्जशीट दायर हुई थी। आरोपपत्र के अनुसार बच्ची को 10 जनवरी को अगवा किया था, 14 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई थी और 17 जनवरी को उसका शव मिला था। उसे नशे की हालत में मंदिर के देवीस्थान में रखा गया था और बार-बार उसका रेप किया गया था, फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। चार्जशीट में यह भी सामने आया था कि जम्मू के हिंदू बहुल इलाके से मुस्लिम आबादी को खदेड़ने के लिए बच्ची की नृशंस हत्या की गई थी।
चार्जशीट सामने आने के बाद प्रदेश में तनाव बढ़ गया था। कुछ वकीलों ने चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। यहां तक कि चार्जशीट दाखिल करने पहुंची क्राइम ब्रांच टीम को भी वकीलों के समूह ने रोकने की कोशिश की थी।
मामला पीडीपी-बीजेपी की तत्कालीन सरकार के लिए विवाद का विषय बन गया था। मामले में अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार लोगों के समर्थन में हिंदू एकता मंच की रैली में भाग लेने के लिए बीजेपी को अपने दो मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा को बर्खास्त करना पड़ा था।
मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में इस मामले को पठानकोट ट्रांसफर कर दिया था क्योंकि जम्मू कश्मीर सरकार और कुछ वकीलों ने कठुआ में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की आशंका प्रकट करते हुए उसे स्थानांतरित करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पठानकोट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को बिना किसी स्थगन के रोजाना बंद कमरे में सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
जून 2018 के पहले हफ्ते में कठुआ से करीब 30 किमी दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में रोजाना कैमरे की निगरानी में मामले की सुनवाई शुरू हुई। यहां सेशन जज तेजविंदर सिंह ने मामले की सुनवाई की जिनके नाम सबसे कम उम्र में सिविल जज बनने का रेकॉर्ड लिम्का बुक में दर्ज है।
जून 2018 को 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए थे। क्राइम ब्रांच ने आठ लोगों- मंदिर के संरक्षक और मुख्य आरोपी सांजी राम, उसके बेटे विशाल, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया उर्फ दीपू, सुरिंदर वर्मा, परवेश कुमार उर्फ मन्नू, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और उपनिरीक्षक अरविंद दत्त को गिरफ्तार किया था। 8वां आरोपी सांजी राम के भतीजे को भी गिरफ्तार किया गया था। उसकी सुनवाई अब तक नहीं शुरू हो सकी है, क्योंकि 18 साल से कम उम्र के होने के उसके दावे का प्रतिवाद कर रही है।
कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता के तहत आरोपियों पर धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या) और 376 डी (गैंगरेप) के तहत आरोप तय किए थे। अगर इन्हें दोषी पाया जाता है तो आरोपियों को कम से कम आजीवन कारावास और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, किशोर आरोपी को छोड़कर सभी आरोपियों को गुरदासपुर जेल में भेज दिया गया था। साथ ही बचाव पक्ष के वकीलों की संख्या भी सीमित कर दी गई थी।
नवंबर 2018 में पठानकोट के सेशन जज तेजविंदर सिंह ने गवाह अजय कुमार उर्फ अज्जू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसके खिलाफ झूठी गवाही का आरोप था। गवाह ने एक मैजिस्ट्रेट के सामने इकबालिया बयान दर्ज कराया था और बाद में वह उससे पलट गया था।
नवंबर 2018 में ही मामले में पीड़िता के परिवार ने वकील दीपिका सिंह राजावत को हटा दिया था। परिवार का आरोप था कि दीपिका के पास कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होने का समय नहीं था। पठानकोट कोर्ट में हुई 110 सुनवाई में वह सिर्फ दो बार ही मौजूद रहीं। परिवार का कहना था कि वह दीपिका को उनकी ओर से जान के खतरे का हवाला देने, केस में कम रुचि लेने और अदालत में न आने के चलते हटा रहे हैं।
इस साल 3 जून को मामले का ट्रायल पूरा हो गया था। सेशन जज तेजविंदर सिंह ने फैसला सुनाने की तारीख 10 जून बताई थी। फैसले आने के चलते अदालत और कठुआ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।