कंबोडिया के सुप्रीम कोर्ट ने बिना लाइसेंस वाले एक मेडिकल चिकित्सक की 25 साल की जेल की सजा देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। मालूम हो कि मेडिकल चिकित्सक की वजह से 200 से अधिक ग्रामीण एचआईवी से संक्रमित हो गए थे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की शनिवार की रिपोर्ट के अनुसार, कई मरीजों के रक्त परीक्षण के बाद उनके एचआईवी से संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉक्टर येम क्रीन (60) को साल 2014 में बट्टामबांग प्रांत से गिरफ्तार किया गया था।
डॉक्टर क्रीन पर एक ही सिरिंज का कई बार दूसरे लोगों पर प्रयोग करने से एचआईवी वायरस संक्रमित करने का आरोप लगा था। दिसंबर 2015 में बट्टामबांग प्रांत कोर्ट ने येम को मामले में दोषी पाया और उसे 25 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने उसे शिकायत दर्ज करानेवाले 100 से अधिक पीड़ितों को 500-3000 डॉलर तक मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
सितंबर 2017 में अपील कोर्ट ने बट्टामबांग प्रांत कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। शुक्रवार को सजा सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नील नोल ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि येम क्रीन पर अपील कोर्ट का फैसला उचित है, इसलिए उसे बरकरार रखा गया है।' करीब 20 साल तक गांव के मेडिकल प्रैक्टिशनर रह चुके क्रीन ने अपनी गलती मानते हुए कोर्ट से अपनी कैद की सजा को कम कर 10 साल करने की गुहार लगाई थी।
कोर्ट में दोषी डॉक्टर ने यह स्वीकार किया कि उसने कई रोगियों पर एक ही सीरिंज का कई बार उपयोग किया था, क्योंकि नए सीरिंज लाना मुश्किल था। इस घटना से बट्टामबांग प्रांत के ग्रामीण रोका समुदाय के करीब 290 लोग एचआईवी से संक्रमित हो गए थे।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।