अमरीका ने भारत के रुख को एच-1 बी वीजा के मुद्दे को लेकर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है. अमरीका को आशंका थी कि दोनों देशों के बीच होने वाली बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है. शायद यही वजह है कि अगले सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली 2+2 बैठक से पहले ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि एच-1बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अमरीका के इस कदम को मोदी सरकार की सफलता के तौर पर देखा जा सकता है.
दरअसल कयास लग रहे थे कि विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज बैठक के दौरान एच-1 बी वीजा मुद्दे को उठा सकती हैं. स्वराज ने पिछले महीने राज्य सभा में बताया था, '' हम इस मुद्दे को कई मंचों पर औपचारिक रूप से उठा रहे हैं. हम लोग इस पर व्हाइट हाउस, वहां के राज्य प्रशासन और वहां सांसदों से बात कर रहे हैं. हम नयी दिल्ली में छह सितंबर को होने वाली 2+2 बैठक में इस मुद्दे को पूरी विनम्रता से उठाएंगे.''
एनडीटीवी के अनुसार नाम न जाहिर करने की शर्त पर अमरीकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत एच-1बी वीजा का मुद्दा 2+2 बैठक में उठाने की तैयारी में है लेकिन इसमें कुछ कहने को नहीं रह जाएगा क्योंकि नीति में कोई बदलाव नहीं होगा.अधिकारी ने बताया, ''ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में अमरीका में काम करने के लिए अमरीकी वीजा कार्यक्रम की बड़ी पैमाने पर समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा आव्रजन नीति में बदलाव की घोषणा के तहत वीजा नियम सख्त करते हुए अमरीकी कंपनियों को विदेशी कामगारों के लिए वीजा सिफारिशों पर नियंत्रण लगाने की कवायद थी. ऐसा करने से विदेशियों की नौकरी के रास्ते कम हो जाते. इसके अलावा एच-4 वीजा नीति को खत्म करने की कवायद भी है जिसमें एच-1 बी वीजाधारकों के जीवनसाथी को अमरीकामें नौकरी के दरवाजे बंद होने थे.
जून में अमरीकी प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा था कि H1b-Visa नीति में बड़ा बदलाव नहीं किया है. इमीग्रेशन सिस्टम में व्यापक बदलाव करने की योजना बनाने के बीच एक अमरीकी अधिकारी ने कहा कि एच -1 बी वीजा नीति में 'कोई बड़ा बदलाव नहीं' किया गया हैं और एच -4 वीजा नीति में 'कुछ नया' नहीं है. दिल्ली में अमरीकी मिशन की डीसीएम मैरीके एल कार्लसन ने कहा कि कर्मचारी वीजा और कार्य करने की अनुमति देना देश का एक अहम निर्णय है.