राजस्थान में कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में एक ही बिस्तर पर दो से तीन बीमार बच्चों का होना एक सामान्य सी बात बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक शीर्ष नेता ने दावा किया है कि इन मासूम बच्चों को साफ हवा के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। यही नहीं, बीजेपी नेता का कहना है कि अव्यवस्था के बीच गंभीर बीमारियों से जूझते इन बच्चों की देखभाल के लिए नर्स नहीं, बल्कि उनकी मां खड़ी रहती हैं।
हाल ही में कोटा का यह अस्पताल काफी सुर्खियों में रहा है। दरअसल, यहां अकेले दिसंबर महीने में ही 91 बच्चों की मौत हो गई, जबकि पिछले हफ्ते 48 घंटों के अंदर यहां 10 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी।
अस्पताल के सूत्रों ने पुष्टि की कि यहां आवश्यक और जीवनरक्षक श्रेणियों में आने वाले 60 फीसदी से अधिक उपकरण काम नहीं कर रहे हैं। लापरवाही व उदासीनता की इतनी हद है कि अस्पताल प्रबंधन का कोई भी अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देता कि कुछ उपकरणों को फिर से ठीक किया जा सकता है। कुछ धूल फांक रहे उपकरण तो ऐसे भी हैं, जिन्हें महज दो रुपये की कीमत के एक तार के छोटे से टुकड़े की मदद से फिर से चलाया जा सकता है। नतीजतन कई नेबुलाइजर, वॉर्मर और वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं।
संबंधित अधिकारियों ने मामले की सूचना दी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। साथ ही अस्पताल में संक्रमण की जांच के लिए एकत्रित 14 नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ये परीक्षण बैक्टीरिया के प्रसार का आकलन करने में मदद करते हैं।
इस रिपोर्ट को अधिकारियों को सौंपे जाने के बावजूद बड़ी संख्या में बैक्टीरिया के प्रसार को साबित होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया रविवार को अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे।
उन्होंने कहा, 'इस मामले में राज्य सरकार के प्रशासन को दोष क्यों नहीं देना चाहिए?' उन्होंने कहा, 'मैंने देखा कि प्रत्येक बिस्तर पर दो से तीन बच्चे लेटे थे और उनकी देखभाल करने के लिए बिस्तर के किनारे ही उनकी मां भी खड़ी थीं। स्पष्ट रूप से संक्रमण के प्रसार की जांच के लिए कोई सावधानी नहीं बरती जा रही है।'
बीजेपी नेता ने कहा, 'अस्पताल में सफाई नहीं थी। हैरानी की बात यह है कि इन बच्चों के वॉर्ड के आसपास कोई नर्स नहीं दिखी।'
इससे पहले बच्चों की मौत की सूचना के तुरंत बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया था कि इस अस्पताल में 900 बच्चों की मौत का आंकड़ा पिछले छह सालों में सबसे कम है।
बाद में स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने भी विभिन्न वर्षों में हुई मौतों को गिनाते हुए कहा कि 2014 में 1198 बच्चों की मृत्यु हुई, 2015 में 1260 बच्चे मारे गए, 2016 में 1193 और 2017 में 1027 बच्चों और 2018 में 1005 बच्चों की मृत्यु हुई।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.