भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में 10 सीटों पर जीत हासिल कर ली है और दो अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने की स्थिति में हैं। कांग्रेस के खाते में सिर्फ दो सीटें जाती दिख रही हैं, जबकि पिछले चुनाव में इनमें से 12 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। इसके साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार पर मंडरा रहा खतरा भी दूर हो गया है।
कर्नाटक में भगवा दल के बहुमत से चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के सपनों को बड़ा झटका लगा है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव और कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता सिद्धारमैया सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की हार के बाद अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफे की घोषणा करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, 'विधायक दल का नेता होने के नाते मेरा फर्ज है कि मैं लोकतंत्र का सम्मान करूं। मैंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।' सिद्धारमैया कर्नाटक में पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वह पांच साल तक कर्नाटक के सीएम भी रहे हैं। मुख्य चुनाव में कांग्रेस को बहुमत ना मिलने के बाद उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया था।
सिद्धारमैया के बाद कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश समिति (केपीसीसी) के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने भी इस्तीफा दे दिया है। गुंडु राव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। उम्मीदवारों के चयन में भी मेरी अहम भूमिका रही है। ऐसे में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी मेरी है। इसलिए मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं पार्टी के लिए काम करता रहूंगा।'
उपचुनाव में बीजेपी की जीत पर सीएम येदियुरप्पा ने खुशी जताते हुए कहा कि अब बिना किसी समस्या के स्थायी सरकार चल सकती है। बता दें कि उपचुनाव में येदियुरप्पा को सत्ता में बने रहने के लिए हर हाल में छह सीट जीतना जरूरी था। उधर, कांग्रेस के खाते में सिर्फ दो सीटें आई हैं। उपचुनाव के नतीजों के बाद से ही कांग्रेस खेमा उदास है। सुबह 11 बजे ही रुझानों को देखते हुए कांग्रेस ने हार मान ली।
बता दें कि कर्नाटक में 224 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के पास 105, कांग्रेस के पास 66 और जेडीएस के पास 34 विधायक हैं। यही नहीं विधानसभा में एक बसपा का भी एमएलए है। हाई कोर्ट में मामला लंबित रहने के कारण विधानसभा में दो सीटें खाली हैं जिन पर उपचुनाव नहीं कराया गया है।
कर्नाटक की 15 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 165 उम्मीदवार मैदान में खड़े थे, जिसमें 126 निर्दलीय और नौ महिलाएं शामिल थीं। भाजपा और कांग्रेस ने सभी 15 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि जेडीएस ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
बीजेपी ने चुनाव मैदान में कांग्रेस और जेडीएस छोड़कर आए 11 बागी अयोग्य विधायकों को उतारा था। इन्होंने 14 नवंबर को बीजेपी का दामन थाम लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 13 नवंबर को अपने फैसले में विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखते हुए इनको दोबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी थी।