राज्यसभा में इस साल कुल 69 सीटें रिक्त होंगी और चार सीटें पहले से ही रिक्त होने के कारण उच्च सदन में कुल 73 सीटों के लिए चुनाव होगा। सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों में 18 भाजपा के और 17 कांग्रेस के हैं।
राज्यसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल सबसे पहले सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों में मनोनीत सदस्य केटीएस तुलसी हैं। वह अगले महीने 24 फरवरी को सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद दो और नौ अप्रैल को राज्यसभा में 15 राज्यों के 51 सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। इनमें राजग के घटक दलों में 15 भाजपा के, तीन जदयू के और चार अन्नाद्रमुक के हैं। इसके अलावा राजग में शामिल नहीं होने के बावजूद सदन में सत्तापक्ष का साथ दे रहे बीजद के भी दो सदस्य अप्रैल में ही सेवानिवृत्त होंगे।
उधर, विपक्षी दलों में कांग्रेस के 13, तृणमूल कांग्रेस के चार और राकांपा के दो सदस्य अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। इसके बाद जून में पांच सीटें रिक्त होंगी। इनमें चार कर्नाटक और एक आंध्र प्रदेश से है।
राज्यसभा की कुल 250 सीटों में से सत्तारूढ़ भाजपा के पास 83 और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 46 सदस्य हैं। उच्च सदन में बहुमत के लिये 123 सदस्यों की जरूरत है।
भाजपा को 2018 और 2019 में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के कारण इस साल द्विवार्षिक चुनाव में उच्च सदन में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को राज्यसभा में अपनी कुछ सीटें बढ़ाने का मौका मिलेगा। जबकि भाजपा की पूरी उम्मीद उत्तर प्रदेश से है। राज्य में इस साल 10 सीटें रिक्त हो रही हैं।
अप्रैल में रिक्त हो रही 52 सीटों में सर्वाधिक सात महाराष्ट्र से, छह तमिलनाडु, पांच-पांच सीटें पश्चिम बंगाल और बिहार से, चार चार सीटें गुजरात और आंध्र प्रदेश से तथा तीन तीन सीटें राजस्थान, ओडिशा और मध्य प्रदेश से शामिल हैं। इन राज्यों की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखते हुये भाजपा, जदयू एवं बीजद को राज्यसभा में अपनी सीटें बरकरार रखने का भरोसा है।
इसके इतर हरियाणा से खाली हो रही दोनों सीटों पर भाजपा की नजर है। इनमें दो अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे इनेलो के राम कुमार कश्यप पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके है। जबकि विधानसभा में बहुमत को देखते हुये भाजपा, कांग्रेस की कुमारी सैलजा की रिक्त हो रही सीट अपनी झोली में लेने की कोशिश करेगी।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस का बहुमत होने के कारण पार्टी को राज्यसभा में रिक्त हो रही अपनी चारों सीटें बरकरार रखने का भरोसा है। जबकि भाजपा, निर्दलीय सदस्य रीताब्रता बनर्जी की सीट वामदलों के पास जाने से रोकने की कोशिश करेगी।
इसी प्रकार तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक को रिक्त हो रही अपनी चार और द्रमुक को एक सीट पर कब्जा बरकरार रखने का भरोसा है। दोनों दलों की नजर माकपा की रिक्त हो रही एक सीट (टी के रंगराजन) पर टिकी होगी।
भाजपा को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की सत्ता से बाहर रहने के कारण राज्यसभा के चुनाव में झटका झेलना पड़ेगा। महाराष्ट्र की इस साल रिक्त हो रही सात सीटों में राजग के घटकदल आरपीआई के रामदास अठावले और अब विरोधी खेमे में शामिल शिवसेना की एक सीट (राजकुमार धूत) शामिल है। भाजपा की नजर राकांपा की रिक्त हो रही दो सीट (शरद पवार और माजिद मेमन) तथा कांग्रेस की एक सीट (हुसैन दलवई) पर थी लेकिन अब इन सीटों को अपने पाले में करने की राजग को उम्मीद नहीं है।
इस बीच बिहार से खाली हो रही पांचों सीट सत्तारूढ़ जदयू भाजपा (हरिवंश, कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर और सीपी ठाकुर एवं आर के सिन्हा) के पास ही रहने की उम्मीद है। जबकि झारखंड चुनाव हारने के बाद भाजपा को राज्य से सदस्य राजद के प्रेमचंद गुप्ता और निर्दलीय परिमल नाथवानी की सीट अपने पाले में करने की उम्मीद खत्म हो गयी है।
आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस को अपनी रिक्त हो रही दो सीट (सुब्बीरामी रेड्डी और मोहम्मद अली खान) तथा तेदेपा को एक सीट (थोटालक्ष्मी सीतारमण) बचाने का संकट होगा। पिछले साल लोकसभा चुनाव के साथ हुये विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद इन सीटों पर सत्तारूढ़ दल का स्वाभाविक दावा होगा। तेदेपा के छह में से चार सदस्यों ने लोकसभा चुनाव के बाद ही भाजपा का दामन थाम लिया था।
उच्च सदन में बहुमत की ओर बढ़ने के क्रम में भाजपा हिमाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम की रिक्त हो रही एक एक सीट पर भी नजर रखे हुये है। इनमें हिमाचल प्रदेश से सेवानिवृत्त हो रही कांग्रेस की विप्लव ठाकुर की सीट राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के खाते में जाना तय है।
अप्रैल में राज्यसभा का कार्यकाल पूरा कर रहे प्रमुख नेताओं में कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री (गुजरात), मोतीलाल वोरा (छत्तीसगढ़) और दिग्विजय सिंह (मध्य प्रदेश), भाजपा के विजय गोयल (राजस्थान) प्रभात झा (मध्य प्रदेश) और सत्यनारायण जाटिया (मध्य प्रदेश) तथा मनोनीत केटीएस तुलसी शामिल हैं।
अप्रैल के बाद जून में पांच सीट (चार कर्नाटक और एक अरुणाचल प्रदेश) और नवंबर में 10 सीट (नौ उत्तर प्रदेश और एक उत्तराखंड) रिक्त होंगी। इनमें सपा के रामगोपाल यादव सहित पार्टी के चार अन्य सदस्य शामिल हैं। जबकि बसपा के दो और कांग्रेस के पीएल पूनिया तथा भाजपा के हरदीप सिंह पुरी के अलावा उत्तराखंड से कांग्रेस के राज बब्बर की सीट भी रिक्त होगी। दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा इनमें से कम से कम आठ सीटें अपने पाले में करने की कोशिश करेगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.