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सांकेतिक तस्वीरReuters file

अगर आपको पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है की बाजार से 2,000 रुपये के करेंसी नोट कम होते या फिर गायब होते जा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए हैं. दो साल पहले नोटबंदी के बाद जारी किये गये 2,000 रुपये के करेंसी नोट की छपाई 'न्यूनतम स्तर पर' पहुंच गई है.

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. 500/1000 रुपये के नोटों को बैन करने की घोषणा के ठीक बाद 2000 रुपये और 500 रुपये के नए नोट को जारी किया गया था.

इसके पीछे सरकार और आरबीआई की क्या नीति है इसका खुलासा नहीं हो पाया है. लेकिन जिस तरह से अचानक चलन में 2000 रुपये नोट कम होते जा रहे थे उससे लोगों में मन सवाल तो उठ ही रहे हैं.

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नोटों के सर्कुलेशन के आधार पर रिजर्व बैंक और सरकार की ओर से समय-समय पर करंसी प्रिंटिंग की मात्रा पर निर्णय लिया जाता है. जब 2000 रुपये के नोट लॉन्च हुए थे तब यह फैसला लिया गया था कि आगे जाकर इन्हें कम कर दिया जाएगा, क्योंकि इसे पुनर्मुद्रीकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी किया गया था.

अधिकारी ने कहा, '2000 रुपये के नोटों की प्रिटिंग काफी कम कर दी गई है. इसकी न्यूनतम प्रिंटिंग का फैसला किया गया है. इसमें कुछ नया नहीं है.'

आरबीआई डेटा के मुताबिक, मार्च 2017 के अंत में सर्कुलेशन में 2000 रुपये के नोटों की कुल संख्या 328.5 करोड़ थी. एक साल बाद (31 मार्च, 2018) मामूली वृद्धि के साथ इसकी संख्या 336.3 करोड़ हुई.

मार्च 2018 के अंत में सर्कुलेशन में मौजूद कुल 18,037 अरब रुपये में से 37.3 फीसदी हिस्सा 2000 रुपये के नोटों का था, जबकि मार्च 2017 में यह हिस्सेदारी 50.2 फीसदी थी.

नवंबर 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. उस समय कुल करंसी में इनकी हिस्सेदारी 86 फीसदी थी.