सरकार ने संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 'सेंट्रल विस्टा' को अगले पांच साल में नया स्वरूप देने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ नए या पुनर्विकास के बाद बदले स्वरूप वाले संसद भवन में मनाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू नए संसद भवन की जरूरत को रेखांकित किया है।
आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय बदली परिस्थितियों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रॉजेक्ट को अंजाम देगा। मंत्रालय के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को बताया की इस महत्वकांक्षी परियोजना के तहत नए कलेवर में संसद भवन, संयुक्त केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के डिजाइन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्ताव मांगे गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि 26 जनवरी 2020 से नवंबर 2020 तक सेंट्रल विस्टा का काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। जबकि संसद भवन को नया स्वरूप देने का काम अगस्त 2022 तक पूरा करने का और संयुक्त केंद्रीय सचिवालय बनाने का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
बता दें कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने खुद जानकारी दी थी कि संसद के लिए नए भवन सहित वर्तमान संसद भवन को नया स्वरूप प्रदान करने की राज्यसभा के सभापति, लोकसभा स्पीकर और सांसदों सहित विभिन्न वर्गों की मांग पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
उन्होंने सांसदों के लिए नए फ्लैट्स के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा था, 'सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। संसद भवन का अच्छे तरह से उपयोग किया जाए या कोई और भवन बनाने की जरूरत है, अधिकारी इस पर दिमाग लगा रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल पूरा होने पर इस काम को करना चाहिए। समय कम बचा है, फिर भी प्रयास किया जाना चाहिए ।
देश का मौजूदा संसद भवन का उद्घाटन 1927 में हुआ था। यह आजादी के कई साल पहले 1911 में बनना शुरू हुआ था। संसद भवन के नए स्वरूप की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि मौजूदा भवन में कई तरह की समस्याएं हैं।
संसद भवन में सिर्फ मंत्रियों का चैम्बर है, सांसदों के लिए नहीं। यहां शार्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं जिसकी वजह बिजली का पुराना सिस्टम है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।