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सांकेतिक तस्वीरReuters

सेना की एक अदालत ने 24 साल पुराने पांच युवाओं के फर्जी एनकाउंटर मामले में मेजर जनरल एके लाल सहित सात सैन्यकर्मियों को दोषी पाया है. 1994 में फेक एनकाउंटर में 5 युवकों के मारे जाने के मामले में इन सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. भारतीय सेना के सूत्रों ने इस फैसले की पुष्टि की है.

उम्रकैद की सजा पाने वालों में मेजर जनरल एके लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, आरएस सिबिरेन, दिलीप सिंह, कैप्टन जगदेव सिंह, नायक अलबिंदर सिंह और नाइक शिवेंद्र सिंह शामिल हैं. दरअसल, असम के तिनसुकिया जिले में 1994 में यह एनकांटर हुआ था. जिसमें सभी आरोपी सेना के अफसरों का कोर्ट मार्शल हुआ.

18 फरवरी 1994 में एक चाय बागान के एक्जीक्यूटिव की हत्या की आशंका पर सेना ने नौ युवाओं को तिनसुकिया जिले से पकड़ा था. इस मामले में बाद में सिर्फ चार युवा ही छोड़े गए थे, बाकी लापता चल रहे थे. जिस पर पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता जगदीश भुयन ने हाई कोर्ट के सामने याचिका के जरिए इस मामले को उठाया था. उस वक्त सैन्यकर्मियों ने फर्जी एनकाउंटर में पांच युवाओं को मार गिराते हुए उन्हें उल्फा उग्रवादी करार दिया था. जगदीश भुयान ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में 22 फरवरी को उसी वर्ष याचिका दायकर कर गायब युवाओं के बारे में जानकारी मांगी.

हाई कोर्ट ने भारतीय सेना को आल असम स्टूडेंट्स यूनियन के सभी नेताओं को नजदीकी पुलिस थाने में पेश करने का हुक्म दिया. जिस परसेना ने धौला पुलिस स्टेशन पर पांच युवाओं का शव पेश किया. जिसके बाद सैन्य कर्मियों का 16 जुलाई से कोर्ट मार्शल शुरू हुआ और 27 जुलाई को निर्णय कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया.

सजा की घोषणा शनिवार को को हुई. यह जानकारी सेना के सूत्रों ने रविवार को दी. भुयन ने कहा-इस फैसले से अपने न्यायतंत्र, लोकतंत्र और सेना में अनुशासन और निष्पक्षता में भरोसा और मजबूत हुआ है.