अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय उपायों की एक और खुराक देने की तैयारी में है। देश की आर्थिक वृद्धि पिछली तिमाही में छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रोत्साहन देने के लिए खाका तैयार है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले कुछ दिनों में इन उपायों की घोषणा करेंगी। हालांकि , उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए उठाए जाने वाले इन कदमों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
याद रहे कि सरकार ने पिछले हफ्ते निर्यात और रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए थे। इस सप्ताह वित्त मंत्री जीएसटी परिषद की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी। इस बैठक में वाहन, एफएमसीजी और होटल समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए जीएसटी दरों में संशोधन पर चर्चा होने की उम्मीद है।
इससे पहले केंद्र सरकार आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए तीन चरणों में कई बड़े ऐलान कर चुकी है, जिनमें रियल एस्टेट के लिए स्पेशल विंडो, एक्सपोर्ट इन्सेंटिव, बैंकों का विलय तथा एमएसएमई और ऑटोमोबाइल सेक्टर्स को राहत के उपाय शामिल हैं।
इस हफ्ते की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए तीन चरणों में कई उपायों की घोषणा की है और ऐसा लगता है कि आगे और भी घोषणाएं की जाएंगी।
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि सही उपायों से अर्थव्यवस्था की सेहत में सुधार आएगा। यह अच्छी बात है कि सरकार काफी तेजी से प्रतिक्रिया दे रही है और मुझे नहीं लगता है कि सरकार ने मौजूदा आर्थिक हालात से निपटने की दिशा में कभी यह कहा हो कि यह अंतिम उपाय है। मुझे उम्मीद है कि यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होगी और वो निश्चित तौर पर अन्य चुनौतियों से भी निपटने के उपाय कर रहे होंगे।'
सरकार ने पहले चरण (23 अगस्त) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) पर लगाया गया ऊंचा सरचार्ज (अधिभार) वापस लिया है। देश में निवेश करने वाले 40 पर्सेंट एफपीआई ट्रस्ट या असोसिएशंस ऑफ पर्संस (एओपी) के रूप में रजिस्टर्ड हैं।
बजट में वित्त मंत्री ने सालाना 2 से 5 करोड़ की आमदनी पर इनकम टैक्स के अलावा सरचार्ज 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट और 5 करोड़ से अधिक की आमदनी पर 37 पर्सेंट कर दिया था। इससे दोनों ग्रुप पर कुल टैक्स बढ़कर क्रमश: 39 पर्सेंट और 42.74 पर्सेंट हो गया था। यह सरचार्ज सैलरी, बचत, ब्याज, म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट, इन सबसे होने वाले मुनाफों पर लगाया गया था।
इसके बाद दूसरे चरण (30 अगस्त) में 10 सार्वजनिक बैंकों को मिलाकर चार बड़े सरकारी बैंक बनाने की घोषणा की गई। वित्त मंत्री ने 10 सरकारी बैंकों के महाविलय की योजना का ऐलान किया था, जिसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या मौजूदा 27 से घटकर 12 रह जाएगी।
6 छोटे सरकारी बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में और विजया बैंक, देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में पहले ही विलय हो चुका है। इस तरह, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा विलय के बाद 10 सरकारी बैंक शीर्ष दो बड़े बैंकों में तब्दील हो चुके हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।