जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बुधवार मध्यरात्रि को समाप्त हो गया और इसके साथ ही दो नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख अस्तित्व में आ गए. अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त किए जाने के 86 दिन बाद यह निर्णय प्रभावी हुआ है.
गृह मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी. देर रात जारी अधिसूचना में, मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई कदमों की घोषणा की. इसके साथ ही देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है जबकि कुल राज्य 29 से घटकर 28 हो गए हैं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों की अगुवाई उपराज्यपाल (एलजी) गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर करेंगे. वे गुरुवार को पदभार ग्रहण करेंगे. यह पहली बार होगा जब किसी राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में तब्दील किया गया है. इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा.
पहला समारोह लेह में होगा जहां माथुर शपथ लेंगे और बाद में श्रीनगर में शपथग्रहण समारोह होगा जिसमें मुर्मू पदभार ग्रहण करेंगे. जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी. इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 रह गई और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर नौ हो गई.
इसी के साथ जम्मू-कश्मीर के संविधान और रणबीर दंड संहिता का गुरुवार से अस्तित्व खत्म हो जाएगा जब राष्ट्र पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाएगा. पटेल को भारत संघ में 560 से अधिक राज्यों का विलय करने का श्रेय जाता है.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 कहता है कि दो केंद्रशासित प्रदेशों के गठन का दिन 31 अक्टूबर है और यह मध्यरात्रि (बुधवार-बृहस्पतिवार) को अस्तित्व में आएंगे.
राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने और इसके विभाजन की घोषणा पांच अगस्त को राज्यसभा में की गई थी. कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा.
गुरुवार को केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा, जबकि भूमि वहां की निर्वाचित सरकार के अधीन होगी. लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा.
नए नियमों के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की न्यायिक व्यवस्था में कोई खास अंतर नहीं है. हाई कोर्ट की श्रीनगर और जम्मू बेंच पहले की तरह ही काम करेगी. वहीं लद्दाख के केस की सुनवाई भी पहले की तरह ही रहेगी. फिलहाल लगभग ऐसी व्यवस्था पंजाब और हरियाणा के लिए चंडीगढ़ बेंच की है.
केंद्र सरकार के कई ऐसे कानून हैं जो पूरे देश में लागू होते थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका लाभ नहीं मिल पाता था. सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और आयुष्मान भारत जैसे कई कानूनों को जम्मू-कश्मीर में स्थान नहीं था. जबकि कई ऐसे नियम थे जो पूरे देश को छोड़कर सिर्फ जम्मू-कश्मीर में लागू होते थे. जैसे कश्मीर में महिलाओं के लिए शरिया कानून लागू था. पंचायतों को पर्याप्त अधिकार नहीं थे. कश्मीर में अल्पसंख्यक (हिंदू और सिखों) को मिलने वाला आरक्षण कानून लागू नहीं था.
अब तक अन्य राज्यों के लोग कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे. यह फैसला कल से लागू नहीं होगा. अब अन्य राज्यों के लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे. साथ ही वहां निजी उद्योग लागने के लिए भी जमीन खरीदी जा सकेगी.
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.