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कुछ एथिकल हैकर्स ने रविवार को दावा किया कि उनके पास भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रमुख राम सेवक शर्मा के बैंक अकाउंट की जानकारी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी. इसके अलावा उन्होंने आधार युक्त पेमेंट सर्विस ऐप्स जैसे भीम और पेटीएम के जरिए शर्मा को 1 रुपये भेजने के स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए ट्रांजेक्शन आईडी भी पोस्ट की.

ऐसा शर्मा दवा शनिवार को हैकर्स को चुनौती देते हुए अपना आधार नंबर 7621 7768 2740 पोस्ट करने के बाद किया गया. उन्होंने आधार की आलोचना करने वाले लोगों को चुनौती देते हुए कहा था कि यदि संभव हो तो वे उन्हें नुकसान पहुंचाकर दिखाएं. हालांकि हम उनके डाटा की पुष्टि नहीं करते हैं.

रविवार को एथिकल हैकर्स जिसमें एलियट एंडरसन, पुष्पेंद्र सिंह, कनिष्क सजनानी, अनिनार अरविंद और करण सैनी ने बताया कि उनकी 14 जानकारियां लीक हो चुकी हैं. इनमें शर्मा का मोबाइल नंबर, घर का पता, जन्मतिथि, पैन नंबर, वोटर आईडी नंबर, टेलिकॉम ऑपरेटर. फोन का मॉडल और एयर इंडिया की फ्रीक्वेंट फ्लायर आईडी शामिल हैं.

उन्होंने यह भी दावा किया है कि उनके पास शर्मा के पांच बैंक अकाउंट- पीएनबी, बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई (ज्वाइंट अकाउंट), कोटक महिंद्रा और आईसीआईसीआई का नंबर और आईएफएससी कोड मौजूद है.

अरविंद और अन्य ने शर्मा के बैंक ऑफ इंडिया अकाउंट में एईपीएस के जरिए एक रुपया भेजने का दावा भी किया. ट्विटर यूजर्स ने ट्राई चेयरमैन को सतर्क करते हुए कहा कि उनकी मंजूरी के बिना उन्हें रकम भेजने में सक्षम होना उनकी ब्लैकमेलिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य खतरों की भी वजह हो सकता है.

हैकर्स ने उनके डीमैट अकाउंट की जानकारी, राइट विंग वेबसाइट की तीन साल की सबस्क्रिप्शन की एसबीआई डेबिट कार्ड से पेमेंट की हिस्ट्री और 2 जुलाई 2018 को लीला धर ऑर्गेनिक्स से आधार कार्ड का इस्तेमाल करके खरीदे गए ऑर्गेनिक गुड्स भी पोस्ट किए गए.

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इस सबके बावज़ूद यूआईडीएआई ने दावा किया कि शर्मा की निजी जानकारियां हैक नहीं हुई है. जहां तक आधार से संबद्ध पता, जन्म तिथि, स्थायी खाता संख्या (पैन), मोबाइल नंबर, ईमेल आदि का ताल्लुक़ है तो ये ऐसी जानकारियां हैं जो तमाम लोगों की पब्लिक डोमेन (सार्वजनिक रूप से) में रहती ही हैं. शर्मा भी चूंकि सरकारी अधिकारी हैं इसलिए उनकी भी ये जानकारियां कई जगहों पर उपलब्ध हैं.

यूआईडीएआई के मुताबिक, 'यह जानबूझकर प्राधिकरण की छवि ख़राब करने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं. जबकि बीते आठ साल से यूआईडीएआई नागरिकों की निजी जानकारियों की सुरक्षा के काम को पूरी प्रतिबद्धता और विश्वसनीयता के साथ अंज़ाम दे रहा है.