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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 75 दिन पूरे होने के मौके पर मंगलवार को कामकाज का ब्योरा देने के साथ जम्मू-कश्मीर पर फैसले का विरोध कर रहे लोगों को घेरा। इन 75 दिनों में मोदी सरकार ने तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर बड़ी सफलता हासिल कर ली है। अनुच्छेद 370 हटाने को न सिर्फ राजनीतिक तौर पर बड़ी जीत माना जा रहा है, बल्कि इसे लेकर कूटनीतिक मोर्चे पर भी सरकार की जमकर तारीफ हो रही है। समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर विस्तार से बात की।

इस साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को कड़े कानून से लेकर चंद्रयान-2, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से लेकर मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी बुराई से मुक्ति दिलाने तक हमने वह सब कुछ कर के दिखाया है, जो एक स्पष्ट बहुमत और दृढ़संकल्प वाली सरकार हासिल कर सकती है।

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा, 17वीं लोकसभा के प्रथम सत्र ने रिकॉर्ड बनाया है। यह 1952 से लेकर अब तक का सबसे फलदायी सत्र रहा है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, बल्कि बेहतरी का एक ऐतिहासिक मोड़ है, जिसने संसद को जनता की जरूरतों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाया है। कई ऐतिहासिक पहल हुई हैं, जिसमें किसान, व्यापारियों के लिए पेंशन योजना शामिल है।

संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा, 'आप ऐसे लोगों की लिस्ट बनाइए जिन्होंने कश्मीर पर इस फैसले का विरोध किया। इसमें कुछ स्वार्थी समूह, राजनीतिक वंश, वे लोग हैं जो आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और कुछ विपक्ष के मित्र शामिल हैं। देश के लोग, चाहे जो भी उनकी राजनीतिक विचारधारा हो, उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए उठाए गए इस कदम का समर्थन किया। यह पूरी तरह राष्ट्र का विषय है, राजनीति का नहीं। देश के लोग इस फैसले को मुश्किल मान रहे हैं, लेकिन उन्हें भी इस बात का अहसास है कि जो अब तक असंभव लगता था, उसे संभव किया जा रहा है।'

पीएम ने कहा कि धीरे-धीरे कश्मीर में हालात सामान्य हो जाएंगे। पीएम को साफ तौर पर लगता है कि इसके कुछ प्रावधान देश को नुकसान पहुंचा रहे थे। मोदी ने कहा कि इससे सिर्फ राजनीतिक परिवारों और अलगाववादियों को मदद मिलती थी।

पीएम ने कहा, 'अब यह सबको स्पष्ट है कि कैसे अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-थलग कर दिया था। 7 दशक के समय ने लोगों का कोई भला नहीं किया। लोगों को विकास की धारा से अलग रखा गया। सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि आर्थिक तौर पर जम्मू-कश्मीर कभी तरक्की नहीं कर पाया।'

पीएम ने कहा कि इस पर हमारा नजरिया थोड़ा अलग है। अब तक गरीबी की मार झेल रहे लोगों को ज्यादा आर्थिक मौके मिलने चाहिए। अब कश्मीर में विकास को एक मौका मिलना चाहिए।

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Twitter / @ANI

पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भाई-बहन अपने लिए बेहतर भविष्य चाहते हैं, लेकिन अनुच्छेद 370 ऐसा नहीं होने दे रहा था। वहां महिलाओं, बच्चों, एससी और एसटी समुदाय के लोगों के खिलाफ काफी अन्याय था। अब, बीपीओ से लेकर स्टार्टअप तक, खाद्य प्रसंस्करण से लेकर पर्यटन तक, कई उद्योग निवेश का लाभ उठा सकते हैं और स्थानीय युवाओं के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं। शिक्षा और स्किल डिवेलपमेंट के क्षेत्र में भी उछाल आएगा।'

पीएम ने कहा कि जो लोग अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध कर रहे हैं, मेरा उनसे सीधा सा सवाल है कि अनुच्छेद 370 और 35ए को बनाए रखने के पीछे उनका क्या तर्क है? पीएम ने कहा कि उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं होगा।

पीएम ने कहा, 'ये वही लोग हैं, जो लोगों की मदद करने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करने लगते थे। लोगों को पानी मुहैया कराने के लिए एक प्रॉजेक्ट है, ये लोग उसका भी विरोध कर रहे हैं। रेलवे ट्रैक बनाया जाना है, ये लोग उसका भी विरोध कर रहे हैं। उनके दिल सिर्फ माओवादियों और आतंकवादियों के लिए धड़कते हैं, जिनसे आम आदमी को सिर्फ परेशानी हुई है। आज, देश का हर नागरिक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के साथ खड़ा है और मुझे पूरा भरोसा है कि वहां के लोग विकास के मुद्दे पर हमारे साथ होंगे।'

इस दौरान जब पीएम से सवाल किया गया कि क्या इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज भी सुनी जाएगी? इस पर पीएम ने कहा, 'कश्मीर ने लोकतंत्र के पक्ष में ऐसी मजबूत प्रतिबद्धता कभी नहीं देखी है। आप पंचायत चुनाव के दौरान लोगों से मिले समर्थन को याद करें। लोगों ने बड़ी संख्या में निकलकर वोट किया था। किसी के रोकने पर भी वे नहीं रुके।' पीएम ने कहा कि नवंबर और दिसंबर 2018 में वहां 35,000 सरपंच चुनकर आए हैं और पंचायत चुनाव में 74 प्रतिशत लोगों ने वोट किया है।

पीएम ने कहा, 'इस दौरान एक भी जगह से हिंसा की कोई खबर नहीं आई है। यह तब संभव हुआ जब मुख्य पार्टियों ने इस मामले को पटरी से उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आप सोचिए कि जो अब तक सत्ता में थे उन्होंने पंचायतों को मजबूत करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया।'

पीएम ने कहा कि यह कितने दुख की बात है कि संविधान का 73वां संशोधन कश्मीर में लागू नहीं होता है। यह वहां के लोगों के साथ अन्याय है। पीएम ने कहा कि मैंने जम्मू और कश्मीर के लोगों को भरोसा दिलाया है कि वहां चुनाव होंगे, लेकिन उनके द्वारा ही वहां के लोग चुने जाएंगे। पीएम ने कहा कि जिन लोगों को अब तक लगता था कि कश्मीर पर राज करना उनका पारिवारिक अधिकार है, उन्हें इस फैसले से नाराजगी हो सकती है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की जिस जोरदार तरीके से वापसी हुई है, उसका यह परिणाम है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इन 75 दिनों में जो हासिल किया है, वह उस मजबूत बुनियाद का परिणाम भी है, जिसे हमने पिछले पांच साल के कार्याकाल में बनाए थे।

पीएम ने कहा, 'पिछले पांच सालों में किए गए सैकड़ों सुधारों की वजह से देश आज इस गति से आगे बढ़ने के लिए तैयार है, इसमें जनता की आकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं। यह सिर्फ सरकार के कारण नहीं, बल्कि संसद में मजबूती की वजह से भी हुआ है।'

पीएम मोदी ने 17वीं लोकसभा के बजट सत्र में सबसे ज्यादा काम होने पर भी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, 'मेरी नजर में यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, बल्कि बेहतरी का एक ऐतिहासिक मोड़ है, जिसने संसद को जनता की जरूरतों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाया है। कई ऐतिहासिक पहले शुरू की गई, जिसमें किसानों और व्यापारियों के लिए पेंशन योजना, मेडिकल सेक्टर का रिफॉर्म, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता में महत्वपूर्ण संशोधन, श्रम सुधार की शुरुआत...मैं लगातार आगे बढ़ता रहा। कोई समय की बर्बादी नहीं, कोई लंबा सोच-विचार नहीं, बल्कि कार्यान्वयन और साहसी निर्णय लेना, कश्मीर से बड़ा कोई निर्णय नहीं हो सकता।'

पीएम ने एनएमसी बिल को लेकर डॉक्टरों की नाराजगी पर पूछे गए सवाल पर कहा कि जब 2014 में सरकार बनी थी, तब मेडिकल शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था को लेकर कई तरह की चिंताएं सामने आई थीं। इससे पहले, अदालतों ने भारत में मेडिकल शिक्षा को संभाल रही संस्थाओं के खिलाफ कड़े शब्दों में आपत्ति दर्ज कराई थी, इन्हें भ्रष्टाचार के गढ़ कहा था। एक संसदीय समिति ने गहन अध्ययन के बाद मेडिकल शिक्षा को लेकर निराशाजनक तस्वीर पेश की थी। पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र को सुधारने के बारे में सोचा था, लेकिन इस दिशा में वे आगे नहीं बढ़ सकी थीं।

पीएम ने कहा, 'हमने इस दिशा में आग बढ़ने का फैसला किया, क्योंकि यह मामला ऐसा नहीं है, जिसे हल्के में लिया जाए। यह हमारे लोगों की सेहत और हमारे युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है। मौजूदा समस्याओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) इस क्षेत्र में एक दूरगामी सुधार है। इसमें सुधार के कई आयाम हैं, जो भ्रष्टाचार के मौकों को खत्म करते हैं और पारदर्शिता को बढ़ाते हैं।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।