सांकेतिक तस्वीरREUTERS/Rupak De Chowdhuri

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों पर काबू पाने की कोशिश में सरकार द्वारा एहतियाती कदम के तौर पर तनावपूर्ण स्थानों पर इंटरनेट पर लगाई जाने वाली पाबंदी टेलिकॉम कंपनियों को काफी महंगी पड़ रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि देशभर के कई इलाकों में इंटरनेट शटडाउन की वजह से टेलिकॉम कंपनियों को हर घंटे करीब 24.5 मिलियन रुपये ($ 350,000) के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

शुक्रवार को, उत्तर प्रदेश के करीब 18 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया।Reuters

करीब तीन सप्ताह पहले संसद में ना​गरिकता संशोधन कानून को पास किया गया था। इसके बाद से ही राजधानी ​नई दिल्ली समेत देशभर के कई इलाकों में लगतार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस कानून के तहत सरकार ने प्रावधान किया है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी। विपक्ष ने मोदी सरकार के इस निर्णय को एंटी मुस्लिम कदम बताते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया है।

देशभर में विभिन्न स्थानों पर हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए सरकार ने एक तरफ तो भारी मात्रा में पुलिस और सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की है वहीँ दूसरी तरफ सोशल मीडिया के जरिये फैलने वाली अफवाहों पर काबू पाने के लिए कई स्थानों पर इंटरनेट पर पाबंदी भी लगा दी गई।

सोशल मीडिया इंस्टाग्राम और टिकटॉक सहित अन्य सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री को फैलने से रोकने के लिए सरकार के आदेश के बाद मोबाइल डेटा को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया था। इस तरह के इंटरनेट शटडाउन का विरोध भी किया गया था।

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने केन्द्र सरकार को इंटरनेट सर्विस बंद होने की वजह से टेलिकॉम कंपनियों को हो रहे नुकसान को देखते हुए पत्र भी लिखा है। हालांकि, COAI के इस खत का फिलहाल सरकार की तरफ से कोई जबाब नहीं आया है। आपको बता दें कि टेलिकॉम कंपनियां पहले से ही जबरदस्त घाटे में चल रही हैं, जिसकी वजह से पिछले दिनों ही टेलिकॉम कंपनियों ने अपने टैरिफ में बढ़ोत्तरी की है।

बीते शुक्रवार को, उत्तर प्रदेश के करीब 18 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया। टेलिकॉम कंपनियां सरकार के आदेश पर इंटरनेट शटडाउन की जानकारी ग्राहकों को एसएमएस के जरिए दे रही हैं। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अन्य लोगों के हवाले से लिखा है कि इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं ने दिल्ली के कुछ बाहरी इलाकों में होम ब्रॉडबैंक सेवा भी 24 घंटों के लिए बंद कर दिया था। हालांकि, 28 दिसंबर यानी आज इस सेवा को फिर से शुरू कर दिया गया।

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स्वीडन की टेलिकॉम कंपनी एरिक्सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक भारतीय औसतन हर माह 9.8 GB डाटा अपने स्मार्टफोन के जरिए खर्च करता है, जोकि पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। सरकार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवा को बंद करती है, ताकि कोई भी अफवाह तेजी से न फैलें और कानून व्यवस्था बरकरार रहे।

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि इंटरनेट शटडाउन सरकार की तरफ से की जाने वाली पहली कार्रवाई यानी फर्स्ट कोर्स ऑफ एक्शन नहीं होनी चाहिए। भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम भी इस एसोसिएशन के सदस्य है।

COAI के निदेशक राजन मैथ्युज ने कहा, 'हमने शटडाउन से होने वाले नुकसान पर ध्यान​ दिया है। ' उन्होंने कहा, '2019 के अंत तक हमारे गणना के हिसाब से इंटरनेट शटडाउन की वजह से टेलिकॉम कंपनियों को हर घंटे 2.4 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।'

पहले से ही प्रतिस्पर्धी टैरिफ की मार से परेशान इन कंपनियों की रेवेन्यू पर भी इसका असर दिखाई देगा। बता दें कि इसके पहले कश्मीर में भी लगातार 140 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं थी।

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन्स की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट बंद के मामले में भारत दूसरे देशों से बहुत आगे है। इंटरनेट पर बैन लगने से देश को आर्थिक नुकसान होता है।

इंटरनेट शटडाउन वेबसाइट के मुताबिक, भारत में 2012 से लेकर 2019 तक कुल 377 बार इंटरनेट बंद हुआ है। वहीं, कश्मीर में 180 बार, राजस्थान में 68 बार, उत्तर प्रदेश में 27 बार, बिहार में 11 बार और उत्तराखंड में 2 बार इंटरनेट पर बैन लगाया गया है।

सरकार ने 2012 से लेकर 2019 तक महाराष्ट्र में कुल 10 बार, आंध्र प्रदेश में एक बार, तमिलनाडु में एक बार और पश्चिम बंगाल में नौ बार इंटरनेट बंद हुआ है।