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कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने सोमवार को यहां बैठक की जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद पैदा हुए हालात, आर्थिक मंदी तथा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 20 दलों के नेता शामिल हुए।

पार्लियामेंट एनेक्सी में हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, के सी वेणुगोपाल, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, झामुमो के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, राजद के मनोज झा, नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी और रालोद के अजित सिंह मौजूद थे।

इसके साथ ही आईयूएमएल के पी के कुन्हालीकुट्टी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा तथा कई अन्य दलों के नेता भी बैठक में शामिल हुए।

इस बैठक में बसपा, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुईं।

सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में सीएए विरोधी प्रदर्शनों, जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में हिंसा के बाद के हालात, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और कृषि संकट पर चर्चा हुई।

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इस बैठक में संसद के आगामी बजट सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर भी चर्चा किए जाने की खबर है।

सीएए के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कांग्रेस की बैठक से खुद को अलग कर लिया। ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून को न सिर्फ बंगाल में लागू करने से मना किया है, बल्कि वो खुद सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रही हैं। बावजूद इसके ममता ने विपक्ष की बैठक से खुद को अलग कर लिया है।

ममता बनर्जी के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने भी विपक्ष की एकजुटता को झटका दिया। हालांकि, उन्होंने बैठक से बीएसपी को दूर रखने का अलग कारण बताया है। मायावती ने बैठक में शामिल न होने की वजह राजस्थान में बीएसपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करना बताया है। मायावती ने इस संबंध में कई ट्वीट किए। उन्होंने ट्ववीट में लिखा, 'राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।'

हालांकि, सीएए पर भी मायावती ने अपनी राय रखते हुए ट्वीट में बताया कि बीएसपी सीएए - एनआरसी के विरोध में है और उसने केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले।

बीएसपी के अलावा दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने भी विपक्ष की इस बैठक से खुद को अलग कर लिया। दिल्ली में चुनाव होने जा रहे हैं और आम आदमी पार्टी सीएए-एनआरसी और यूनिवर्सिटी में चल रही हिंसा की घटनाओं से दूरी बनाए है। देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विपक्ष की बैठक का हिस्सा न बनकर आम आदमी पार्टी ने फिर एक बार अपने स्टैंड को जाहिर कर दिया है।

बता दें कि इन तीनों ही दलों ने संसद के अंदर भी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक से तीनों ने ही खुद को अलग ही रखा।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.