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दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर रोष सोमवार को देश के कई शिक्षण संस्थानों तक पहुंच गया। नेता और नागरिक समाज के लोग छात्रों का साथ देते नजर आए। राष्ट्रीय राजधानी की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में कल हुई हिंसा के बाद आज सुबह पुलिस कार्रवाई को लेकर गुस्सा और सीएए के विरोध में प्रदर्शन दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और तेलंगाना, उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंच गया।

जामिया विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में आंसू गैस के इस्तेमाल और विश्वविद्यालय अधिकारियों की अनुमति के बिना परिसर में पुलिस के प्रवेश की जांच की मांग करते हुए हजारों छात्र सड़कों पर आ गए। इसके साथ ही कई नेता भी मैदान में उतर गए।

विवादित संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया और देश के अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में पार्टी के नेता यहां इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गए। वाड्रा के साथ अहमद पटेल, ए के एंटनी, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सिंह सुरजेवाला मौजूद थे। उनके अलावा सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ता भी थे।

इंडिया गेट पर धरने पर बैठने से पहले, वाड्रा ने जामिया के छात्रों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का हवाला देकर मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि देश का माहौल 'खराब' हो गया है। वाड्रा ने कहा, '' देश का वातावरण खराब है। पुलिस (छात्रों) को पीटने के लिए विश्वविद्यालय में घुस कर पीट रही है। सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर रही है। हम संविधान के लिए लड़ेंगे।''

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि शाम चार बजे शुरू हुआ धरना दो घंटे का है और यह जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा अन्य स्थानों के छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए किया जा रहा है।

उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक विशाल रैली निकाली और दिल्ली में विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि पूरा देश ''असंवैधानिक कानून'' के खिलाफ है। उन्होंने जामिया के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई की निन्दा की।

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उधर, आश्चर्यजनक ढंग से एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी यूडीएफ और एलडीएफ ने केरल की राजधानी में दुर्लभ तौर पर संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''देश में हिंसा के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है जो ऐसा कानून लाई है जिसका देशभर में विरोध हो रहा है। यदि सरकार इस कानून को न लाती तो कोई हिंसा नहीं होती।''

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कानून को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शन ''दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निराशाजनक हैं।'' उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, '' संशोधित नागरिकता कानून स्वीकार्यता, सौहार्द, करुणा और भाईचारे की भारत की सदियों पुरानी संस्कृति की व्याख्या करता है। हम निहित स्वार्थ वाले समूहों को हमें बांटने और गड़बड़ी पैदा करने की इजाजत नहीं दे सकते ।''

वहीं, उच्चतम न्यायालय ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान दंगे और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर कड़ा संज्ञान लिया और कहा कि यह तत्काल रुकना चाहिए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शनों के दौरान छात्रों पर पुलिस ज्यादती के आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर मंगलवार के दिन सुनवाई करने के लिए सहमत हुई पीठ ने कहा कि वह इस तरह के माहौल में मुद्दे को नहीं सुनेगी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ कहा, ''हम एकमात्र चीज चाहते हैं कि हिंसा हर हाल में रुके।''

दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेक छात्रों ने परीक्षाओं का बहिष्कार किया और आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने के लिए नॉर्थ कैम्पस में कला संकाय के बाहर प्रदर्शन किया। जामिया के छात्रों के एक समूह ने दिल्ली में सर्द सुबह के समय कमीज उतारकर प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों छात्र एकत्र हो गए। उन्होंने यातायात को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बना ली। अनेक छात्र अपने घर जाते देखे गए, लेकिन उनके चेहरों पर गुस्सा था। उधर, हिरासत में लिए गए जामिया के 50 छात्रों को रिहा कर दिया गया, लेकिन परिसर में तनाव जारी रहा।

जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने भी छात्रों का समर्थन किया और कहा कि पुलिस बिना अनुमति के परिसर में घुसी। उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''हम परिसर में पुलिस की मौजूदगी सहन नहीं करेंगे। पुलिस बर्बरता से हमारे छात्र डरे हुए हैं।'' कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराएगा। उन्होंने सरकार से उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की।

वहीं, लखनऊ के नदवा कॉलेज में सैकड़ों की संख्या में छात्र एकत्र हुए और नारेबाजी की। पुलिस ने जब स्थिति को संभालने की कोशिश की तो छात्रों ने पथराव किया। जवाब में पुलिस ने भी परिसर के स्टील गेट पर पत्थर फेंके। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा, ''यहां नदवातुल उलमा के कुछ छात्रों ने प्रदर्शन की कोशिश की और भीतर से पत्थर फेंके। उन्हें रोक दिया गया और किसी को भी बाहर आने की अनुमति नहीं है।''

वहीं, हैदराबाद के मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय में छात्रों ने जामिया के छात्रों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए आधी रात के समय मार्च निकाला और अपनी परीक्षाएं स्थगित करने की मांग की। हैदराबाद विश्वविद्यालय और उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी प्रदर्शन किए और दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और पश्चिम बंगाल में यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ ही प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी जामिया के छात्रों के प्रति एकजुटता व्यक्त की और मांग की गई कि सरकार पुलिस की ''गुंडागर्दी'' के खिलाफ कार्रवाई करे। वहीं, यादवपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने भी पुलिस कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया।

आईआईटी कानुपर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई में भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर प्रदर्शन हुए जहां के छात्र प्राय: प्रदर्शनों से दूर रहते हैं। आईआईएम, अहमदाबाद, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूर के छात्रों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसके साथ ही मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में भी प्रदर्शन हुआ। आईआईएम, बेंगलूर के छात्रों ने जामिया के छात्रों के खिलाफ हुई पुलिसिया कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय केरल, कासरगोड और पांडिचेरी विश्वविद्यालय में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया।

इस बीच, जामिया के छात्रों और पूर्व छात्रों की मां, दादी और बहनें भी आंदोलनकारियों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने पहुंचीं और अपनी ''अंतिम सांस'' तक न्याय की लड़ाई जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्विवद्यालय में रविवार देर रात पुलिस के साथ झड़प में कम से कम 60 छात्र घायल हो गए।

जामिया के भीतर रविवार की हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो को लेकर हॉलीवुड और बॉलीवुड तक से प्रतिक्रियाएं आईं। हॉलीवुड स्टार जॉन कुसाक ने टि्वटर पर कहा, ''दिल्ली से खबर, यह बीती रात युद्ध क्षेत्र था...।''

अगस्त में टि्वटर छोड़ने वाले फिल्मकार अनुराग कश्यप फिर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर लौट आए और कहा कि वह लंबे समय तक चुप नहीं रह सकते। उन्होंने ट्वीट किया, ''यह सरकार स्पष्ट तौर पर फासीवादी है...।'' जवाहर लाल नेहरू विश्विवद्यालय के छात्र भी जामिया के छात्रों का साथ देने रविवार रात आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर पहुंचे।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.