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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के वसंत विहार में दिसंबर, 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म और हत्या कांड के तीन दोषियों की फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. इसी के साथ उच्चतम न्यायालय ने निर्भया के तीन दोषियों की फांसी पर मुहर लगी दी. कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका को आधारहीन बताते हुए ख़ारिज करते हुए कहा कि मुख्य फ़ैसले में दख़ल देने का कोई आधार नज़र नही आता है.

उच्चतम न्यायालय ने इस पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि समीक्षा याचिका पर उस वक्त गौर किया जाता है जब उसमें कोई ऐसा बिंदु हो जो पहले अदालत में उठाया न गया हो या उसे नजरअंदाज किया गया हो. इस याचिका में ऐसा कुछ नहीं था, इसलिए अदालत इनकी सजा को बरकरार रखते हुए इन्हें फांसी की सजा देती है.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष पांच मई को निर्भया के चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. अक्षय को छोड़कर तीन दोषियों ने इस सजा के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन चौथे अभियुक्त अक्षय ने फैसला सुरक्षित होने तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी. कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर गत चार मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात फिल्म देखकर लौटते समय 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) से छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी थीं. दोषियों ने निर्भया और उसके मित्र को नग्न हालत में चलती बस से नीचे फेंककर दोनों को कुचलकर मारने की कोशिश भी की थी.

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ANI

इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत और हाई कोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. एक अभियुक्त ने ट्रायल के दौरान जेल मे खुदकशी कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग था जो तीन साल की सजा पूरी होने के बाद छूट चुका है.