सरवाना भवन के संस्थापक पी राजगोपाल
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सरवाना भवन के संस्थापक पी राजगोपाल का गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से चेन्नई के एक अस्पताल में निधन हो गया।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काटने के लिए मंगलवार को सत्र अदालत में समर्पण कर दिया था। इसके बाद उन्हें जेल में दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुप्रीम कोर्ट से राजगोपाल ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए और समय मांगा था, लेकिन याचिका खारिज होने के बाद उन्हें समर्पण करना पड़ा। वह एम्बुलेंस से अदालत पहुंचे थे।

उन्हें शनिवार को पहला दौरा पड़ने के बाद चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें बुधवार को वेंटिलेटर पर रखा गया था और डॉक्टरों ने कहा था कि उनकी स्थिति काफी गंभीर हैं।

राजगोपाल को 2001 में एक कर्मचारी की हत्या के मामले में सजा सुनाई गई थी। राजगोपाल अपने एक कर्मचारी की हत्या करके उसकी पत्नी से शादी करना चाहता था। रिपोर्ट बताती है कि वह एक ज्योतिषी की सलाह पर उस महिला को अपनी तीसरी पत्नी बनाना चाहता था।

उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने इसी साल 29 मार्च को राजगोपाल सहित नौ दोषियों की अपील को खारिज करते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने 2009 में इस हत्याकांड में राजगोपाल और आठ अन्य की दस-दस साल की कैद की सजा को बढ़ाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

पी राजगोपाल ने 1981 में अपना पहला रेस्तरां ऐसे समय पर खोला जब बाहर खाना ज्यादातर भारतीयों के लिए असामान्य बात हुआ करती थी। इस श्रृंखला के रेस्तरां दुनिया भर में न्यूयॉर्क से लंदन तक के मौजूद हैं।

पी राजागोपाल एक निम्न परिवार से थे। 1981 में उन्होंने चेन्नई में एक जनरल स्टोर (किराने की दुकान) खोली, इसे मद्रास के नाम से खोला गया था। इस काम में राजागोपाल को बहुत अधिक कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने कुछ खाने पीने का रेस्टोरेंट टाइप का खोलने का मन बनाया। ये वो दौर था जब लोग घर से बाहर खाने के लिए सोचते भी नहीं थे। घर से खाकर निकलते थे और वापस घर पर ही आकर खाया करते थे। ऐसे में इस तरह की चीजें सोचना अपने आप में एक बड़ा निर्णय था।

मगर राजागोपाल ने ये सोचा और सरवानाभवन के नाम से एक रेस्टोरेंट खोला, इस रेस्टोरेंट में सांभर, वाडा, इडली डोसा जैसी चीजें शामिल की गई। चेन्नई के लोगों के लिए ये वो चीजें थी जिसे वो घर से बाहर निकलकर खा सकते थे। इसमें इन चीजों के टेस्ट पर खास ध्यान दिया गया जिससे लोगों को घर जैसा अहसास हो सके। अब यदि कोई घर के बाहर परिवार के साथ कहीं कुछ खाना चाहता था तो उसके लिए पी राजागोपाल का सरवाना भवन बेहतर विकल्प था।

चेन्नई में सरवाना भवन की कामयाबी को देखते हुए पी राजागोपाल ने लेसेस्टर स्क्वायर से लेक्सिंगटन एवेन्यू तक सरवाना भवन की शाखाएं खोल दी। इसी के साथ देश में सभी प्रमुख जगहों पर इनकी शाखाएं खोली गई। धीरे-धीरे सरवाना भवन की लोकप्रियता बढ़ती गई। साउथ इंडियन खाने के शौकीन लोगों के ये बेहतरीन विकल्प बन गया। कुछ ही समय में इसने अपनी एक जगह बना ली।

आज विदेशों में भी सरवाना भवन की 80 शाखाएं खुली गई है। पी राजागोपाल ने विदेश में रहने वालों को भी साउथ इंडियन खाने का टेस्ट उन तक पहुंचाया। यूनाइडेट स्टेट, गल्फ कंट्री, यूरोप और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी आज सरवाना भवन की शाखाएं खुली हुई हैं। विदेश में रहने वाले तमाम इंडियन्स को आज सरवाना भवन का साउथ इंडियन खाना खूब भाता है।

साल 2000 में राजागोपाल की निगाहें अपने यहां काम करने वाले एक कर्मचारी की बेटी पर पड़ी, वो उसे अपनी तीसरी पत्नी के तौर पर चाहता था। इसके लिए उसने एक ज्योतिषी की सलाह भी ली। कर्मचारी की ये बेटी पहले से ही शादीशुदा थी, इस वजह से राजागोपाल की बात खत्म हो गई। मगर राजागोपाल ऐसे हार मनाने वालों में नहीं थे। उन्होंने प्रयास जारी रखा। उस महिला से शादी करने के लिए राजागोपाल ने महिला, उसके पति और उसके परिवार को महीनों तक धमकवाया, पति के साथ मारपीट और अन्य ज्यादतियां की गई। मगर किसी से सफलता नहीं मिली।