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सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिये शुक्रवार को कई बड़ी घोषणाएं की। इन घोषणाओं में कंपनियों के लिये आयकर की दर करीब 10 प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत करना तथा नयी विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटाकर 17.01 प्रतिशत करना शामिल है। सरकार ने ये कदम ऐसे समय उठाये हैं जब चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गयी है।

इन घोषणाओं से निवेश को प्रोत्साहन मिलने तथा रोजगार सृजन को गति मिलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये घोषणाएं करते हुए कहा कि इन बदलावों को आयकर अधिनियम के लिये एक अध्यादेश के जरिये अमल में लाया जाएगा।

उन्होंने पणजी में संवाददाताओं से कहा, ''आर्थिक वृद्धि तथा निवेश को बढ़ावा देने के लिये आयकर अधिनियम में एक नया प्रावधान किया गया है, जो वित्त वर्ष 2019-20 से प्रभावी होगा। इससे किसी भी घरेलू कंपनी को 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प मिलेगा। हालांकि इसके लिये शर्त होगी कि वे किसी प्रोत्साहन का लाभ नहीं ले सकेंगी।''

अधिशेषों और उपकर को मिलाकर इसकी प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी। तीस प्रतिशत कंपनी कर की दर पर कॉरपोरेट कर की मौजूदा प्रभावी दर 34.94 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, ''विनिर्माण क्षेत्र में नया निवेश आकर्षित करने तथा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिये आयकर अधिनियम में नये प्रावधान किये गये हैं। इससे एक अक्टूबर 2019 या इसके बाद गठित किसी भी कंपनी को विनिर्माण में निवेश करने तथा 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू करने पर 15 प्रतिशत की दर से आयकर भरने का विकल्प मिलेगा।''

इन कंपनियों के लिये प्रभावी दर 17.01 प्रतिशत होगी। फिलहाल नइ्र कंपनियों के लिये 25 प्रतिशत की कर पर प्रभावी दर 29.12 प्रतिशत है। इसके साथ ही कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान नहीं करना होगा। सीतारमण ने कहा कि यदि कोई कंपनी कम की गयी दरों पर भुगतान करने का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट एवं प्रोत्साहन का लाभ उठाती है तो वह पुरानी दरों पर भुगतान करना जारी रखेंगी।

उन्होंने कहा, ''ये कंपनियां छूट व प्रोत्साहन की अवधि समाप्त होने के बाद संशोधित दरों का विकल्प चुन सकती हैं।'' छूट व प्रोत्साहन का लाभ जारी रखने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को राहत देने के लिये न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी।

इसके साथ ही सीमारमण ने पांच जुलाई को अपने पहले बजट में आय पर अधिक अधिभार के रूप में घोषित धनाढ्यों उच्च दर से लगने वाली कर समाप्त करने की भी घोषणा की। इसके तहत अब प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयर की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर उच्च दर से अधिभार का भुगतान नहीं करना होगा।

इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-उपकर समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है। वित्तमंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी किसी प्रकार का कर नहीं देना होगा।

उन्होंने कहा कि दर कम करने तथा अन्य घोषणाओं से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है। हालांकि उन्होंने इन नयी घोषणाओं का राजकोषीय घाटा के लक्ष्य पर असर पड़ने संबंधी सवाल को दरकिनार कर दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविकता के प्रति सजग है और वह बाद में आंकड़ों में सामंजस्य बिठाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले वित्तमंत्री तीन किस्तों में राहत की घोषणा कर चुकी हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।