सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरREEM BAESHEN/AFP/Getty Images

सऊदी अरब में करीब एक साल पहले हिरासत में ली गई महिला कार्यकर्ताओं ने बुधवार को सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान उन्हें यातनाएं दी गईं और उनका यौन उत्पीड़न किया गया। रियाद की एक अपराध अदालत में बुधवार को 11 महिलाओं पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार समूहों से संपर्क रखने के लिए आरोप तय करने के लिए दूसरी बार सुनवाई हुई। इस दौरान विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों को अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई थी।

अदालत में मौजूद सूत्रों ने बताया कि उनमें से कुछ महिलाएं रोने लगीं। उन्होंने तीन जजों की पैनल के सामने कहा कि पूछताछकर्ताओं ने उन्हें बिजली के झटके लगाए, हिरासत के दौरान उनके साथ मारपीट की गई और यौन शोषण किया गया। सऊदी अरब सरकार मानवाधिकारों के अपने रिकॉर्ड को लेकर गहन अंतरराष्ट्रीय जांच का सामना कर रही है।

हालांकि, वह महिलाओं पर अत्याचार और उनके उत्पीड़न से साफ इनकार करती रही हैं। जिन महिलाओं को हिरासत में लिया गया है, उनमें प्रमुख कार्यकर्त्ता लौजेन अल-हथलौल, ब्लॉगर इमान अल-नफजान और प्रफेसर हातून अल-फासी शामिल हैं। इन कार्यकर्ताओं को महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगा प्रतिबंध हटने से ठीक पहले हिरासत में लिया गया था।

महिलाओं ने गाड़ी चलाने के अधिकार और प्रतिबंधात्मक संरक्षकता प्रणाली को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया था। लौजेन के भाई-बहनों ने सऊदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। फिलहाल विदेश में रह रहे उनके भाई-बहनों का आरोप है कि उन्हे यातना देने में वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान के शीर्ष सलाहकार सऊद अल कहतानी का हाथ है। कहतानी को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद पद से हटा दिया गया था।

लौजेन के भाई वलीद अल हथलौल ने कहा, "राजकुमार का शीर्ष सलाहकार मेरी बहन को बलात्कार, जान से मारने और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दे रहा था।" महिलाओं के परिवार के सदस्यों ने बताया कि कि कुछ महिलाओं ने जमानत की अपील की है, जि सपर न्यायाधीश बृहस्पतिवार को फैसला ले सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी।