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करीब 9,000 करोड़ रुपए के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी विजय माल्या भारत आना चाहता है. जांच एजेंसियों के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि इस संबंध में पिछले दो महीनों से वो ऐसे संकेत दे रहा है. अधिकारियों का कहना है कि भारत में विजय माल्या की व्यापक संपत्ति है, जो जांच एजेंसियों द्वारा अटैच्ड है. इन संपत्तियों पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के लिए वह एक नए रास्ते की कोशिश में हैं, लेकिन अभी तक विजय माल्या ने भारत सरकार के प्रत्यर्पण के प्रयासों का विरोध किया है.

गौरतलब है कि विजय मल्या ने लंदन कोर्ट में बीते दिनों ये दलील दी थी कि आर्थर रोड जेल में रोशनी नहीं आती और वहां कई बार मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. दरअसल, लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान लंदन की अदालत ने भारत से उस जेल का एक वीडियो भी देने को कहा था, जहां प्रत्यर्पण के बाद माल्या को रखने की योजना है. इसके बाद सीबीआई ने मुंबई की आर्थर रोड जेल का 8 मिनट का वीडियो भी अदालत को सौंपा है जिसमे माल्या को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं को दर्शाया गया है.

इस संबंध में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि नये कानून के तहत एक बार अपराधियों की संपत्ति जब्त हो जाएगी, तो उसे दोबारा छुड़ाया नहीं जा सकेगा. इसलिए भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या भारत लौटने को लेकर इतना उत्सुक है. विजय माल्या को आर्थिक भगोड़ा अपराधी घोषित करने को लेकर सुनवाई कर रही मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को मामले में अगली सुनवाई की तारीख तीन सितंबर को तय की है.

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दरअसल, 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण के कथित धोखाधड़ी के मामले में कुछ और लोगों ने खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया है, जिसके मद्देनजर अदालत ने सुनवाई आगे बढ़ा दी है.

बता दें कि किंगफिशर एयरलाइन के पूर्व मालिक माल्या ने धोखाधड़ी और तकरीबन 9000 करोड़ रुपये के धन शोधन के आरोपों में प्रत्यर्पण के भारत के प्रयासों को चुनौती दी है. वो पिछले साल अप्रैल से गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा हैं.

कुछ दिन पूर्व संसद द्वारा पारित किये गए नए आर्थिक अपराधी कानून में कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने ऐसे अपराध किये हैं जिनमें 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है और वे भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिये भारत आने से इंकार करते हैं.

इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की का प्रावधान किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने का अधिकार नहीं होगा. ऐसे मामलों में विशेष अदालतों द्वारा समयबद्ध तरीके से सुनवाई की जाएगी और उनके आदेशों के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है.