राईजिंग कश्मीर के संपादक, शुजात बुखारी के शव को कंधे पर उठाकर लाते लोग.
राईजिंग कश्मीर के संपादक, शुजात बुखारी के शव को कंधे पर उठाकर लाते लोग.रायटर्स/दानिश इस्माइल

पुलिस ने बताया कि, आतंकियों ने गुरुवार की देर शाम पत्रकार और अंग्रेजी दैनिक ''राइजिंग कश्मीर'' के संपादक शुजात बुखारी की उनके दफ्तर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी. इस हमले में उनका पीएसओ भी घायल हुआ था जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शुजात बुखारी, श्रीनगर के रेजीडेंसी रोड की प्रेस कालोनी में स्थित अपने दफ्तर से देर शाम काम के बाद घर के लिए निकल रहे थे. इसी बीच घात लगाकर बैठे चार आंतकियों ने उनकी गाड़ी को घेर कर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी.

तीनों घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां डाॅक्टरों द्वारा बुखारी और उनके पीएसओ को मृत घोषित कर दिया गया जबकि ड्राईवर की हालत गंभीर बताई जा रही है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, शुजात बुखारी पर हमले के मामले में पुलिस ने मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरों से हासिल फुटेज से संदिग्धों के कुछ फोटो जारी किए हैं जिनमे एक मोटरसाइकिल पर सवार तीन युवक दिख रहे हैं. गाड़ी चला रहा युवक हेलमेट पहने है जबकि पीछे बैठने वाले युवक ने मास्क लगा रखा है और बीच में बैठे युवक का चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा है.

पुलिस द्वारा मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरों से हासिल फुटेज से जारी संदिग्ध हमलवालों की तस्वीर.
पुलिस द्वारा मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरों से हासिल फुटेज से जारी संदिग्ध हमलवालों की तस्वीर.एएनआई

पुलिस ने आम लोगों से कोठीबाग पुलिस स्टेशन, पीसीआर श्रीनगर या फिर पुलिस कंट्रोल रूम में इन संदिग्धों के बारे में कोई भी सूचना देने को कहा है. इसके अलावा पुलिस द्वारा कहा गया है कि सूचना देने वाले की पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और राज्य की बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सीएम महूबबा मुफ्ती ने इस घटना पर दुख जताते हुए उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की. पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि घटना के बारे में सुनकर भौचक्क हूं. अल्लाह उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे.

शुजात बुखारी पर इसके पहले वर्ष 2000 में भी आतंकी हमला हुआ था जिसमें वे बाल बाल बचे थे. इस हमले के बाद ही उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी.

शुजात बुखारी को आतंकियों ने 1996 में और 2006 में भी अगवा कर लिया था. 1996 में 19 पत्रकारों के साथ अगवा बुखारी को सात घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया था. 2006 में बंधक बनाकर उन्हें मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन बंदूक जाम होने की वजह से उनकी जान बच गई थी.

शुजात बुखारी की फाइल फोटो.
शुजात बुखारी की फाइल फोटो.ट्विटर