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भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी को महिला अधिकारी के साथ यौन दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया है. आर्मी कोर्ट मार्शल प्रक्रिया में वरिष्ठ अधिकारी को बर्खास्त करने का आदेश दिया है. दो साल पहले एक कैप्टन रैंक की महिला अधिकारी ने नगालैंड में वरिष्ठ अधिकारी के यौन शोषण करने की शिकायत की थी.

सूत्रों का कहना है कि 2015 में इस वरिष्ठ अधिकारी ने म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस साहसिक भागीदारी के कारण अधिकारी का प्रमोशन भी हुआ था.

दोषी पाए गए अधिकारी ने इस प्रकरण को सेना के भीतर चल रही गुटबाजी बताया. अधिकारी का कहना है कि कुछ लोगों ने उनके खिलाफ साजिश की है और वह फंसाए गए हैं.

कोर्ट मार्शल के तहत ही जसवाल को दोषी पाए जाने पर सेना से बर्खास्त करने का फरमान सुनाया गया है. हालांकि अभी तक कोर्ट मार्शल के फैसले को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और अन्य अधिकारियों ने मान्य नहीं किया है. सैन्य कानून के मुताबिक कोर्ट मार्शल के फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए सेना प्रमुख और वरिष्य़ अधिकारियों की अनुमति ज़रूरी होती है.

जानकारी के मुताबिक साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर कैंप से की गई सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई में दोषी अधिकारी ने अहम रोल अदा किया था. उसी की वजह से उक्त अधिकारी का प्रमोशन भी हुआ था.

हालांकि दोषी अधिकारी एम.एस. जसवाल ने इस मामले को उसके खिलाफ साजिश करार दिया है. उसका कहना है कि यह सब सेना की भीतरी गुटबाजी का नतीजा है. जिसके तहत उन्हें फंसाया गया है.

कोर्ट मार्शल वेस्टर्न आर्मी कमांड चंडीमंदिर में किया गया जिसकी अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी ने की. जांच टीम ने अधिकारी को आईपीसी की धारा 354A (यौन शोषण का दोषी), सेक्शन 45 (अनुचित व्यवहार का दोषी) के तहत दोषी करार दिया.

महिला अधिकारी कैप्टन रैंक की हैं और जज अडवोकेट ब्रांच में तैनात हैं. महिला अधिकारी ने शिकायत करते हुए कहा था कि मेजर जनरल जसवाल ने कोहिमा में उसे अपने कमरे में बुलाया था. फिर उसके साथ छेड़छाड़ की थी. उसे गलत नीयत से छुआ था.