सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरAP

देश में होने वाले अगले आम चुनावों में महज कुछ ही दिन बचे रह गए हैं और सभी राजनितिक दलों ने अभी से जनता का मिजाज भांपना शुरू कर दिया है. ऐसे में हुए दो ओपीनियन पोल 2019 में त्रिशंकु लोकसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं. यानी किसी भी पार्टी को तो छोड़िए, किसी गठबंधन को भी बहुमत मिलने की संभावना नहीं है.

वैसे तो प्रधानमंत्री के तौर पर पसंद के रूप में नरेंद्र मोदी सबसे आगे हैं. लेकिन उनके और राहुल गांधी के बीच फासला लगातार कम होता जा रहा है. एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे में कहा गया है कि लोक सभा की 543 सीटों में से एनडीए को 233, यूपीए को 167 सीटें मिल सकती हैं. अन्य दलों को 143 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है.

जबकि 'आज तक' और कार्वी इनसाइट्स के ओपीनियन पोल में कहा गया है कि एनडीए को भारी नुकसान हो सकता है. पिछले लोक सभा चुनाव की तुलना में उसकी 99 सीटें कम हो सकती हैं और वह 237 सीटों पर सिमट सकता है जो कि बहुमत के आंकड़े 272 से काफी दूर है. वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए को जबर्दस्त फायदा मिलने की संभावना है. उसे 166 सीटें मिल सकती हैं. जबकि त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दलों को 140 सीटें मिलने की संभावना है.

सर्वे के मुताबिक यूपी में बीजेपी को मिलने वाली सीटों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. सर्वे के मुताबिक, यहां बीजेपी महज 24 सीटें ही जीतती दिख रही है, वहीं बीजेपी की सहयोगी अपना दल को मात्र 1 सीट ही मिल सकती है. कांग्रेस को इस बार प्रदेश में 4 सीटें मिलने के आसार हैं. वहीं सबसे अधिक फायदा इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को होता दिखाई दे रहा है, जिन्हें 51 सीटें मिल सकती हैं.

बिहार में स्थिति इसके उलट है. नीतीश कुमार के साथ में आने से बीजेपी की स्थिति काफी बेहतर नजर आ रही है. सर्वे के अनुसार बिहार में एनडीए को 35 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है, जिसमें से बीजेपी को अकेले 15 सीटें मिलने का अनुमान है. दूसरी तरफ महागठबंधन की झोली में महज 5 सीटें ही जाती दिख रही हैं. महागठबंधन में आरजेडी को 4 तथा कांग्रेस को 1 सीट पर जीत हासिल होती दिखाई दे रही हैं.

वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच दरार का नुकसान एनडीए को उठाना पड़ सकता है. सर्वे के अनुसार यहां पर एनडीए को 16 लोकसभा सीटें ही मिलेंगी, जबकि यूपीए इस बार जोरदार वापसी करते हुए 28 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. बता दें कि 2014 के चुनावों में 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में से एनडीए ने 41 सीटों पर परचम लहराया था. इसमें से बीजेपी ने 23 तथा सहयोगी शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बात अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात की करें तो यहां भी एनडीए को कोई नुकसान होता नहीं दिख रहा है. प्रदेश की 26 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 24 पर जीत हासिल हो सकती है, जबकि 2 सीटें कांग्रेस की झोली में जाती दिखाई दे रही हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी.

इसी तरह मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के उलट बीजेपी के लिए लोकसभा चुनावों में स्थिति बेहतर नजर आ रही है. यहां लोकसभा की 29 सीटों में से 23 पर बीजेपी कब्जा जमा सकती है, जबकि 6 सीटें कांग्रेस के पास जा सकती हैं.

इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का जादू फिर से चल सकता है, जहां तृणमूल कांग्रेस कुल 42 में से 34 सीटें जीत सकती है, वहीं एनडीए को सूबे में 7 सीटें मिल सकती हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से एनडीए को 5 जबकि यूपीए को 6 पर जीत मिलती दिखाई दे रही है.

यह ओपीनियन पोल यह भी बता रहे हैं कि मोदी सरकार के पिछले पांच साल के कामकाज से लोग खुश नहीं हैं. लेकिन यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि पिछले लोक सभा चुनाव में किसी भी ओपीनियन पोल ने बीजेपी को अपने बूते बहुमत मिलने और एनडीए को 336 सीटें मिलने की भविष्यवाणी नहीं की थी. न ही कोई यह पाया था कि कांग्रेस सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ 44 सीटें पा सकेगी. आइए देखते हैं तब ओपीनियन पोल क्या कह रहे थे.

सी वोटर ने फरवरी 2014 में भविष्यवाणी की थी कि बीजेपी को 202 और एनडीए को 227 सीटें मिलेंगी. कांग्रेस को 89 और यूपीए को 101 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी. जबकि एबीपी नेल्सन ने एनडीए को 236, यूपीए को 92 और अन्य को 215 सीटें मिलने की बात कही थी. और जब नतीजे आए तब तस्वीर कुछ इस तरह थी एनडीए 336, यूपीए 60 और अन्य 147.

इसके बावजूद यह कहा जा सकता है कि देश का माहौल 2014 जैसा नहीं है. तब भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा था और लोग बदलाव चाहते थे. नरेंद्र मोदी उम्मीदों की लहर पर सवार होकर आए. गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री उनके काम को देखते हुए लोगों ने उन्हें अपना समर्थन दिया. अब मोदी के सामने अपनी सरकार के कामकाज का हिसाब देकर उसके सत्ता में वापसी की चुनौती है.