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तीन वैज्ञानिकों को लीथियम आयन बैटरी के विकास पर काम के लिए बुधवार को रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया गया। इन हल्की, पुन: रिचार्ज हो सकने वाली और शक्तिशाली बैटरियों का इस्तेमाल अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों आदि सभी में होता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से जुड़े अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन गुडइनफ, बिंघमटन में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के एम स्टेनली व्हिटिंघम तथा जापान के असाही कासेई कॉर्पोरेशन एंड मीजो यूनिवर्सिटी के अकीरा योशिनो को नोबेल पुरस्कार से नवाजा जाएगा। 97 साल के गुडइनफ यह पुरस्कार पाने वाले सबसे उम्रदराज विजेता होंगे। उनसे पहले पिछले साल 96 साल के आर्थर अश्किन को नोबेल मिला था।

एकेडमी के महासचिव गोरान हैनसॉन ने कहा कि यह पुरस्कार एक 'रिचार्ज होने वाली दुनिया' को लेकर है। समिति ने एक बयान में कहा कि लीथियम आयन बैटरियों ने हमारी जिंदगियों को बदल दिया है और इन वैज्ञानिकों ने एक बेतार, जीवाश्म ईंधन मुक्त समाज की बुनियाद रखी।

नोबेल समिति ने कहा कि लीथियम आयन बैटरी के विकास की शुरूआत 1970 के दशक में तेल संकट के दौरान हुई थी जब व्हिटिंघम ऐसी ऊर्जा तकनीकों पर काम कर रहे थे जो पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन से मुक्त हों।

इस पुरस्कार के तहत स्टाकहोम और नॉर्वे के ओस्लो में 10 दिसंबर को एक समारोह में 90 लाख क्रोनोर (9,18,000 डॉलर) की नगद राशि, एक स्वर्ण पदक और डिप्लोमा प्रदान किया जाता है। 10 दिसंबर को इस पुरस्कार के संस्थापक स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है।

डायनामाइट के आविष्कारक नोबेल ने फैसला किया था कि भौतिकी, रसायनशास्त्र, चिकित्सा औार साहित्य के नोबेल पुरस्कार स्टाकहोम में तथा शांति का नोबेल पुरस्कार ओस्लो में प्रदान किये जाएंगे।

अल्फ्रेड नोबेल का जन्म स्वीडन में 21 अक्टूबर 1833 को हुआ था। अल्फ्रेड रसायनशात्री और इंजीनियर थे। 10 दिसंबर 1896 को इटली के सौन रेमो में अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ। युद्ध में भारी तबाही मचाने वाले अपने अविष्कारों को लेकर अल्फ्रेड नोबेल भारी पश्चाताप था। इसलिए उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति का इस्तेमाल मानव हित के लिए किए गए आविष्कारों में करने का फैसला लिया और नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की।

उन्होंने अपनी वसीयत में हर साल भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को पुरस्कार देने की घोषणा की।

नोबेल पुरस्कार के हर विजेता को करीब साढ़े चार करोड़ रुपए की राशि दी जाती है। इसके साथ 23 कैरेट सोने से बना 200 ग्राम का पदक और प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है। पदक के एक ओर नोबेल पुरस्कार के जनक अल्फ्रेड नोबेल की छवि, उनके जन्म तथा मृत्यु की तारीख लिखी होती है। पदक की दूसरी तरफ यूनानी देवी आइसिस का चित्र, रॉयल एकेडमी ऑफ साइंस स्टॉकहोम तथा पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति की जानकारी होती है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।