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Reuters

पीएम नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लिखे गए ब्लॉग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आडवाणी जी ने बीजेपी की मूल भावना को व्‍यक्‍त किया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'आडवाणी जी बीजेपी का असली सार बताते हैं, विशेष रूप से, देश पहले, उसके बाद पार्टी और अंत में मैं के मंत्र को महत्वपूर्ण तरीके से रखा गया है. बीजेपी कार्यकर्ता होने पर मुझे गर्व है और गर्व है कि लालकृष्ण आडवाणी जी जैसे महान लोगों ने इसे मजबूत किया है.'

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले दौर के मतदान से लगभग एक सप्ताह पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लम्बे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ''राष्ट्र विरोधी" नहीं माना है। सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक स्वरों को 'राष्ट्र विरोधी' करार देने के चलन को लेकर छिड़ी बहस के बीच बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है।

'नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट (राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी, स्वयं अंत में) शीर्षक से अपने ब्लॉग में आडवाणी ने कहा, ''भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये सम्मान है। अपनी स्थापना के समय से ही बीजेपी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी 'दुश्मन नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना।"

उन्होंने कहा, ''इसी प्रकार से राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को 'राष्ट्र विरोधी' नहीं माना। पार्टी (बीजेपी) व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है।" रात में बीजेपी ने आडवाणी के ब्लॉग पर बयान जारी किया। आडवाणी ने अपना यह ब्लॉग ऐसे समय में लिखा है जब छह अप्रैल को बीजेपी का स्थापना दिवस मनाया जायेगा और 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिये मतदान होना है।

लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को लेकर कई अहम बातें कही हैं। आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि हमने कभी भी राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन या देशविरोधी नहीं माना। जाहिर है, आडवाणी के इस ब्लॉग के सियासी गलियारों में अलग-अलग मायने निकाले जाएंगे।

बीजेपी के दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी ने 6 अप्रैल को पार्टी के स्थापना दिवस से 2 दिन पहले इस ब्लॉग को लिखकर गांधीनगर की जनता के प्रति आभार जताया है, जहां से वह 1991 के बाद 6 बार सांसद रहे। इस बार गांधीनगर से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मैदान में हैं। बीजेपी के संस्थापक आडवाणी ने ब्लॉग में लिखा है उनकी जिंदगी का पथप्रदर्शक सिद्धांत रहा है- देश सबसे पहले, उसके बाद पार्टी और आखिर में खुद। उन्होंने लिखा कि हर परिस्थिति में उन्होंने इस सिद्धांत पर अटल रहने की कोशिश की है जो आगे भी जारी रहेगी। खास बात यह है कि गांधीनगर से बीजेपी का टिकट नहीं मिलने के बाद आडवाणी की यह पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया है।

आडवाणी ने ब्लॉग में अपने अबतक के राजनीतिक सफर को याद किया कि कैसे वह 14 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े और किस तरह वह पहले जनसंघ और बाद में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे और पार्टी के साथ करीब 7 दशकों तक जुड़े रहे। ब्लॉग में आडवाणी ने पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों पर जोर देते हुए सभी राजनैतिक दलों से आत्मनिरीक्षण की अपील भी की।

आडवाणी ने लिखा है कि भारतीय लोकतंत्र का सार उसकी विविधता और अभिव्यक्ति की आजादी है। उन्होंने लिखा, 'अपने जन्म के बाद से ही, बीजेपी ने खुद से राजनीतिक तौर पर असहमति रखने वालों को कभी 'दुश्मन' नहीं माना, बल्कि उन्हें हमसे अलग विचार वाला माना है। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने राजनीतिक तौर पर असहमत होने वालों को कभी 'देश-विरोधी' नहीं माना।'

आडवाणी ने आगे लिखा, 'पार्टी के भीतर और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य दोनों में ही लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा बीजेपी की गर्वीली पहचान रही है। बीजेपी हमेशा से मीडिया समेत हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्ठा, निष्पक्षता और मजबूती की रक्षा की मांग में अग्रणी रही है।' उन्होंने लिखा कि चुनाव सुधार और भ्रष्टाचारमुक्त राजनीति उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता है।

ब्लॉग के आखिर में आडवाणी ने लिखा है कि सत्य, राष्ट्र निष्ठा और लोकतंत्र की तिकड़ी ने बीजेपी के विकास की पथप्रदर्शक रही हैं। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों की समग्रता से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज (गुड गवर्नेंस) का जन्म होता है, जो उनकी पार्टी का हमेशा से ध्येय रहा है। अंत में उन्होंने लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों, मीडिया और लोकतांत्रिक संस्थाओं से ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण की भी अपील की है।