एरिक ट्रैपियरANI

राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप को लेकर भारत में फैले राजनीतिक घमासान के बीच दसॉल्ट एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रैपियर ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए विशेष साक्षात्कार में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने गांधी के राफेल सौदे को लेकर दसॉल्ट-रिलायंस ज्वाइंट वेंचर को लेकर दिए गए विवरणों को गलत बताया.

2 नवंबर को की गई प्रेस कांफ्रेस में राहुल ने कहा था कि दसॉल्ट ने अनिल अंबानी की घाटे में चल रही कंपनी में 284 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. इन पैसों का इस्तेमाल नागपुर में एक जमीन खरीदने के लिए किया गया. राहुल ने कहा था, 'यह साफ है कि दसॉल्ट के सीईओ झूठ बोल रहे हैं. यदि इसकी जांच की जाए तो मोदी बच नहीं पाएंगे. इसकी गारंटी है.'

एरिक ट्रैपियर ने कहा, 'मैं झूठ नहीं बोलता. सच वही है जो मैंने पहले कहा है और जो बयान दिए हैं वह सच हैं. मेरी झूठ बोलने की आदत नहीं है. मेरे जैसे सीईओ के पद पर बैठकर आप झूठ नहीं बोलते हैं.' यह जवाब उन्होंने तब दिया जब उनसे राहुल गांधी के आरोपों को लेकर सवाल किया गया. गांधी का आरोप है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस समूह को दसॉल्ट की ऑफसेट डील देकर फायदा पहुंचाया गया है.

ट्रैपियर ने कहा कि उनके पास कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का अनुभव है और कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयानों की वजह से वह काफी निराश हुए हैं.

सीईओ ने कहा, 'हमारा कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का लंबा अनुभव है. हमारी भारत के सात पहली डील 1953 में नेहरू के जमाने में हुई थी. इसके बाद हमने और प्रधानमंत्रियों के साथ भी काम किया. हम भारत के साथ काम करते रहे हैं. हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं. हम रणनीतिक उत्पाद जैसे कि लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को सप्लाई करते रहे हैं. यह सबसे जरूरी है.'

राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों पर एरिक ने कहा, 'हमने अंबानी को खुद चुना. हमारे रिलायंस के अलावा 30 और साझेदार हैं. भारतीय वायुसेना इस सौदे का पक्ष इसलिए ले रही है क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए लड़ाकू विमान चाहिए.'

सीईओ ने बताया, '36 विमानों की कीमत वही है जो 18 की थी. 36 18 के दोगुने हैं. जहां तक मेरी बात है यह कीमत दोगुनी होनी चाहिए थी. चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच है तो इसमें मोलभाव हुआ. मुझे 9 प्रतिशत तक कीमतें घटानी पड़ीं. हम रिलायंस में पैसे निवेश नहीं कर रहे हैं. यह पैसा हमारे ज्वाइंट वेंचर (जेवी) में जाएगा. जहां तक डील के औद्योगिक हिस्सों की डील का सवाल है उसमें दसॉल्ट के इंजीनियर और कर्मचारी अगवानी कर रहे हैं.'