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जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसके 2 केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात 8 बजे देश की जनता को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने नए जम्मू कश्मीर और नए लद्दाख के निर्माण का वादा किया। प्रधानमंत्री मोदी का देश के नाम यह संबोधन ऐसे समय पर हुआ, जब स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र के नाम उनके औपचारिक संबोधन में कुछ ही दिन बाकी हैं।

दरअसल, मंगलवार को संसद ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेषाधिकार को हटा लिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने वाले बिल को भी मंजूरी दे दी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी को देश को 7 अगस्त को संबोधित करना था, लेकिन पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद इसे स्थगित करना पड़ा।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को भरोसा दिलाया कि इस फैसले से वहां के लोगों का वर्तमान तो सुधरेगा ही, भविष्य भी संवरेगा। उन्होंने देशवासियों से नए भारत के साथ-साथ शांत, सुरक्षित और समृद्ध नए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के निर्माण की अपील की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के युवाओं को राज्य के एक खूबसूरत कल का ख्वाब दिखाया। नरेंद्र मोदी ने युवाओं को मुख्यधारा में लाने के साथ साथ भ्रष्टाचार से निजात दिलाने और रोजगार से जोड़ने के वादे भी किए।

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Twitter / @ANI

पीएम मोदी का पूरा संबोधन

''एक राष्ट्र के तौर पर, परिवार के तौर पर देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। एक ऐसी व्यवस्था जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे और जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी वह हम सबके प्रयासों से अब दूर हो गई। जो सपना सरदार पटेल, आंबेडकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटलजी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो सपना अब पूरा हो गया है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है। अब देश के सभी नागरिकों के हक भी समान हैं और दायित्व भी समान हैं। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को, लद्दाख के लोगों को और प्रत्येक देशवासी को हृदयपूर्वक बधाई देता हूं। साथियों, समाज जीवन में कुछ बातें समय के साथ इतनी घुलमिल जाती हैं कि कई बार उन चीजों का मन में स्थायीभाव आ जाता है, स्थायी मान लिया जाता है। अनुच्छेद 370 और 35 ए के साथ भी ऐसा ही हुआ। इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को जो हानि होती थी उसकी चर्चा ही नहीं होती थी। इसकी वजह से पिछले 30 वर्षों में 42 हजार निर्दोष लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास उस गति से नहीं हो पाई, जिसका वह हकदार था। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का वर्तमान तो सुधरेगा ही, भविष्य भी संवरेगा।

कानून बनाते समय संसद में काफी बहस होती है, संसद के बाहर भी काफी चर्चा होती है, मंथन होता है, मनन होती है। कानून पूरे देश के लोगों का भला करता है। लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद कानून बनाए और वह देश के एक हिस्से में लागू ही न हो। यहां तक कि पहले की कुछ सरकारें एक कानून बनाकर वाहवाही लूटती थी, लेकिन यह नहीं सोचती थी कि वह कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा क्या? जम्मू-कश्मीर के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित थे। बेटियों को जो सारे हक मिलते हैं वो सारे हक वहां की बेटियों को नहीं मिलते थे। देश के अन्य राज्यों में सफाई कर्मचारियों के लिए सफाई कर्मचारी ऐक्ट लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के सफाई कर्मचारी इससे वंचित थे। देश में दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए सख्त कानून लागू हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था। माइनॉरिटी ऐक्ट जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं था। न्यूनतम मजदूरी कानून भी जम्मू-कश्मीर के श्रमिकों पर लागू नहीं होता था। एससी, एसटी आरक्षण का लाभ भी जम्मू-कश्मीर में नहीं मिलता था। आर्टिकल 370 और 35 ए बीता हुआ इतिहास हो जाने के बाद उनके नकारात्मक प्रभावों से भी जम्मू-कश्मीर जल्द बाहर निकलेगा।

केंद्र सरकार की प्राथमिकता रहेगी कि राज्य के कर्मचारियों को दूसरे केंद्रशासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां के पुलिस के बराबर सुविधाएं मिलें। अभी केंद्रशासित प्रदेशों में अनेक वित्तीय सुविधाएं जैसे एलटीसी, एजुकेशन अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस जैसी अनेक सुविधाएं मिलती हैं। अब ये सुविधाएं जल्द ही जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों को भी मुहैया कराई जाएगी।

बहुत जल्द ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के सभी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू होगी। इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के मौके सृजित होंगे। सेना और अर्धसैनिक बलों द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए रैलियों का आयोजन किया जाएगा। सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना का भी विस्तार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को इसका लाभ मिले। जम्मू-कश्मीर का राजस्व घाटा बहुत ज्यादा है। केंद्र सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि इसका प्रभाव कम किया जाए।

370 हटाने के साथ ही अभी कुछ कालखंड के लिए जम्मू-कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फैसला बहुत सोच समझकर लिया गया है। जबसे वहां गवर्नर रूल लगा है, जम्मू-कश्मीर का प्रशासन सीधे केंद्र के संपर्क में है। इसकी वजह से बीते कुछ महीनों में वहां गुड गर्वनेंस का बेहतर प्रभाव जमीन पर दिखाई देने लगा है। जो योजनाएं पहले सिर्फ कागजों में रह गई थीं, उन्हें जमीन पर उतारा जा रहा है। लंबित प्रॉजेक्ट्स को गति मिली है। इसका नतीजा है कि आईआईटी, एम्स, आईआईएम, सिंचाई परियोजनाएं जैसे कामों में तेजी आई है। कनेक्टिविटी से जुड़े प्रॉजेक्ट्स, सड़कों और रेल से जुड़े कामों को तेजी से बढ़ाया जा रहा है।

देश का लोकतंत्र इतना मजबूत है लेकिन जम्मू-कश्मीर में दशकों से लाखों की संख्या में ऐसे भाई बहन रहते हैं, जिन्हें लोकसभा में वोट देने का तो हक था लेकिन विधानसभा और स्थानीय निकाय या पंचायत चुनाव में न वोट डालने का हक था, न लड़ने का। ये वो लोग थे जो 1947 के बाद भारत आए। क्या इन लोगों के साथ अन्याय ऐसे ही चलता रहता।

जम्मू-कश्मीर के अपने भाई-बहनों के एक महत्वपूर्ण बात साफ करना चाहता हूं। आपका जनप्रतिनिधि आपके बीच से ही आएगा। जैसे पहले एमएलए होते थे, वैसे ही आगे होंगे। जैसे पहले कैबिनेट होता था, वैसा ही बाद में भी होगा। जैसे आपके सीएम होते थे वैसे ही आगे भी होंगे। मुझे विश्वास है कि इस नई व्यवस्था में हम सभी मिलकर धरती के स्वर्ग को आतंकवाद से मुक्त कराएंगे। जब ईज ऑफ लिविंग बढ़ेंगी, नागरिकों को उनका हक बेरोकटोक मिलने लगेगा तो मुझे नहीं लगता कि केंद्रशासित व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में चलाए रखने की जरूरत पड़ेगी। लद्दाख में बनी रहेगी। हम चाहेंगे कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हों, नई सरकार बने, मुख्यमंत्री बने। मैं आपको भरोसा देता हूं कि आपको अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका जरूर मिलेगा। जैसे बीते दिनों पंचायत चुनाव पारदर्शिता से संपन्न कराए गए, वैसे ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का भी चुनाव होगा।

मैं गवर्नर से आग्रह करूंगा कि ब्लॉक डिवेलपमेंट कमिटियों का जल्द से जल्द गठन किया जाए। पंचायतों में जो चुनकर आए वे बेहतरीन काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले मैं उनसे श्रीनगर में मिला था। वे दिल्ली भी आए थे। मेरी उनसे काफी लंबी बातें हुईं। चुने हुए पंचायत सदस्यों की वजह से जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण स्तर पर काफी काम हुए हैं। महिला पंचायत सदस्यों ने तो और कमाल कर दिया है। मुझे विश्वास है कि जब इन पंचायत सदस्यों को काम करने का मौका मिलेगा तो वे कमाल कर देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर की जनता अलगाववाद को परास्त करके नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगी।

दशकों के परिवारवाद ने जम्मू-कश्मीर के मेरे युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया। अब मेरे युवा जम्मू-कश्मीर के विकास का नेतृत्व करेंगे और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के युवाओं से अपील करूंगा कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए खुद आगे आइए।

जम्मू-कश्मीर में पर्यटन की अपार क्षमता है। मुझे इसमें हर हिंदुस्तानी का साथ चाहिए। एक जमाना था कि जब बॉलिवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर पसंदीदा स्थान था। अब जम्मू-कश्मीर में स्थितियां सामान्य होंगी तो देश ही नहीं, दुनिया भर के लोग फिल्मों की शूटिंग के लिए आएंगे। इससे रोजगार के मौके भी आएंगे।

मैं फिल्मी दुनिया के लोगों से अपील करूंगा कि जम्मू-कश्मीर के बारे में जरूर सोचें। मैं तकनीक की दुनिया से जुड़े लोगों से भी कहूंगा कि वे सोचे कि जम्मू-कश्मीर में कैसे टेक्नॉलजी का विस्तार किया जाए। जब वहां बीपीओ सेंटर बढ़ेंगे, जितना ज्यादा टेक्नॉलजी का विस्तार होगा, उतना ही वहां के लोगों का जीवन आसान होगी। रोजगार बढ़ेंगे। स्पोर्ट्स ऐकेडमी बनेंगी। खेल की गतिविधियां बढ़ेंगी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग स्पोर्ट्स में काफी कुछ कर सकते हैं। उनमें पूरी क्षमता है।

केसर का रंग हो या कहवा का स्वाद, सेब का मीठापन हो या खुबानी का रसीलापन कश्मीर का शॉल हो, लद्दाख के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट हों या हर्बल मेडिसीन, इनका प्रसार दुनिया भर में करने की जरूरत है। लद्दाख में सोलो नाम का एक पौधा पाया जाता है। यह सुरक्षाबलों के लिए संजीवनी का काम करता है। यह कम ऑक्सिजन वाले जगह में शरीर के इम्यून सिस्टम को संभाले रखने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसी अद्भुत चीज दुनिया भर में बिकनी चाहिए या नहीं। ऐसे अनगिनत पौधे जम्मू-कश्मीर में बिखरे पड़े हैं। उनकी पहचान होगी, उनकी बिक्री होगी तो इसका लाभ वहां के लोगों और किसानों को होगा। मैं उद्योगपतियों, एक्सपोर्ट से जुड़े लोगों और फूड प्रॉसेसिंग से जुड़ी कंपनियों से इस क्षेत्र में काम करने की अपील करता हूं।

यूनियन टेरिटरी बन जाने के बाद अब लद्दाख के लोगों का विकास भारत सरकार की स्वाभाविक जिम्मेदारी बनती है। स्थानीय प्रतिनिधियों, लद्दाख और करगिल डिवेलपमेंट काउंसिल के माध्यम से केंद्र सरकार विकास की तमाम योजनाओं का लाभ अब और तेजी से पहुंचाएगी। लद्दाख में स्प्रिचिउल टूरिजम, एडवेंचर टूरिजम और इको टूरिजम का सबसे बड़ा केंद्र बनने की क्षमता है। इतना ही नहीं, सोलर पावर जेनरेशन का भी लद्दाख बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है। अब वहां के सामर्थ्य का उचित इस्तेमाल होगा और बिना भेदभाव विकास के नए अवसर बनेंगे। लद्दाख के लोगों को शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान मिलेंगे, अच्छे अस्पताल मिलेंगे, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा।

लोकतंत्र में यह बहुत स्वाभाविक है। कुछ लोग इस फैसले के पक्ष में है तो कुछ को इस पर मतभेद है। मैं उनके मतभेद और आपत्तियों का सम्मान करता हूं। इस पर जो बहस हो रही है, उसका केंद्र सरकार जवाब भी दे रही है। लेकिन मेरा उनसे आग्रह है कि वे देशहित को सर्वोपरि रखकर काम करे। देश की भावनाओं का आदर करें। संसद में किसने समर्थन दिया, किसने नहीं दिया, इससे आगे बढ़कर हमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के हित में मिलकर काम करना होगा।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की चिंता हम सबकी चिंता है। उनके सुख-दुख, उनकी तकलीफ से हम अलग नहीं है, अलग हो नहीं सकते। 370 से मुक्ति एक सच्चाई है और सच्चाई यह भी है कि इस समय ऐहतियात के तौर पर कुछ कदम उठाने की जरूरत थी और उन कदमों की वजह से जो भी परेशानी हो रही है, उसका मुकाबला भी वही के लोग कर रहे हैं और सहयोग कर रहे हैं। लेकिन कुछ मुट्ठीभर लोग जो वहां हालात बिगाड़ना चाह रहे हैं, उन्हें धैर्यपूर्वक जवाब भी वहीं के हमारे भाई-बहन दे रहे हैं। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद और अलगागवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तानी साजिश के विरोध में जम्मू-कश्मीर के ही देशभक्त लोग डटकर खड़े हुए हैं। भारतीय संविधान पर विश्वास करने वाले हमारे सभी भाई-बहन अच्छा जीवन जीने के अधिकारी हैं। उनके सपनों को साकार करने का उन्हें मौका मिले, यह उनका हक है।

मैं आज जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा देता हूं कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे। ईद का मुबारक त्योहार नजदीक है। आपकों ईद की मुबारकबाद। जम्मू-कश्मीर के जो लोग राज्य से बाहर हैं और वहां जाना चाहते हैं, उनकी सरकार हर मुमकिन मदद कर रही है। मैं सुरक्षा बलों के साथियों का आभार व्यक्त करता हूं। प्रशासन से जुड़े सभी लोग, राज्य के सभी कर्मचारियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस जिस तरह से स्थितियों को संभाल रही है, वह सचमुच में बहुत प्रशंसनीय है। आपने हमारे इस विश्वास को और बढ़ाया है कि बदलाव हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर हमारे देश का मुकुट है। इसकी रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के अनेक वीर बेटे-बेटियों ने अपना बलिदान दिया है। पुंछ जिले के मौलवी गुलामदीन जिन्होंने 65 की लड़ाई में पाकिस्तानी घुसपैठियों के बारे में भारतीय सैनिकों को बताया था, उन्हें सम्मानित किया गया था। अशोक चक्र दिया गया था। लद्दाख के कर्नल सोनम वांगचुक ने करगिल की लड़ाई में दुश्मन को धुल चटाया था, उन्हें महावीर चक्र दिया गया था। राजौरी की रुखसाना कौसर जिन्होंने एक बड़े आतंकी को मार गिराया था, उन्हें भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। पुंछ के शहीद औरंगजेब जिनकी पिछले वर्ष आतंकियों ने हत्या कर दी थी और जिनके दोनों भाई अब सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं, ऐसे वीर भाई-बहनों की लिस्ट बहुत लंबी है।

आतंकियों से लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनेक जवान, अफसर शहीद हुए हैं। निर्दोष नागरिक भी मारे गए हैं। देश के अन्य हिस्सों के भी हजारों लोगों को हमने खोया है। इन सभी का सपना शांत, सुरक्षित, समृद्ध जम्मू-कश्मीर बनाने का। उनके सपनों को हमें मिलकर पूरा करना है। यह फैसला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ ही पूरे भारत की आर्थिक प्रगति में सहयोग करेगा। जब यहां शांति और खुशहाली आएगी तो स्वाभाविक रूप से विश्व शांति के प्रयासों को बल मिलेगा।

मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भाई-बहनों से आह्वान करता हूं कि आइए, हम सब मिलकर दुनिया को दिखा दें कि इस क्षेत्र के लोगों का सामर्थ्य कितना ज्यादा है, जज्बा कितना ज्यादा है। आइए हम सभी मिलकर नए भारत के साथ नए जम्मू-कश्मीर और नए लद्दाख का भी निर्माण करें। धन्यवाद।''