सांकेतिक तस्वीर

राफेल सौदे पर पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के आरोपों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि यह सौदा यूपीए सरकार के दौरान बनाए गए नियमों के तहत हुआ है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो आरोप लगा रही है, उन आरोपों की जिम्मेदारी उसे खुद लेनी चाहिए.

आज पूर्व रक्षा मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी ने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब बीजेपी यह कह रही है कि राफेल डील सस्ते में हुई है. यदि ऐसा है तो 126 विमानों के स्थान पर 36 विमान की क्यों खरीदे गए? इसके जवाब में वर्तमान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एंटनी अच्छी तरह से जानते हैं कि डील में किस तरह से मोलभाव किया गया था.

रक्षा मंत्री ने कहा, 'यह डील यूपीए सरकार के दौरान नहीं हुआ. यूपीए सरकार के दौरान जो चीजें और नहीं हो पाईं उनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डसाल्ट उत्पादन शर्तों पर सहमत नहीं हुए जिसके चलते एचएएल और राफेल के बीच करार नहीं हो सका. इन सबकी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी को लेनी चाहिए.' रक्षा मंत्री ने कहा, 'क्या यह साफ तौर पर नहीं बताता है कि एचएएल का साथ किसने नहीं दिया. यह सब किसकी सरकार के दौरान हुआ.'

इससे पहले पूर्व रक्षा मंत्री एवं कांग्रेस नेता एके एंटनी ने राफेल डील को लेकर मोदी सरकार से सवाल किया. एंटनी ने पूछा कि राफेल डील यदि सस्ती थी तो सरकार ने 126 से ज्यादा लड़ाकू विमानों की खरीद क्यों नहीं की.

एंटनी के मुताबिक, 'कानून मंत्री ने हाल ही में दावा किया कि मौजूदा करार यूपीए की डील से 9 प्रतिशत सस्ता है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह राफेल डील 20 फीसदी सस्ता है. भारतीय वायु सेना के अधिकारी ने बताया यह 40 प्रतिशत सस्ता है. अगर यह डील सस्ती थी तो सरकार ने 126 से ज्यादा लड़ाकू विमानों की खरीद क्यों नहीं की?'

दरअसल, पूरा मामला HAL को नजरअंदाज कर रिलायंस को डसॉल्ट से कॉन्ट्रैक्ट मिलने का है. विपक्ष इस पर सरकार को घेरने में लगा है. इससे पहले अनुभव की कमी और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को नजरअंदाज किए जाने के मुद्दों पर रिलायंस ने जवाब दिया था. कंपनी ने अपनी सफाई में कहा था कि डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस को 'ऑफसेट' या एक्सपोर्ट काम के लिए चुना है. विदेशी वेंडर के लिए भारतीय पार्टनर चुनने में रक्षा मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है.

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच समझौते के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई दस अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी. इस याचिका में राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 23 सितंबर, 2016 को हुए समझौते पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.