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राफेल डील को लेकर अखबार 'द हिंदू' में छपी रिपोर्ट पर राजनीतिक संग्राम संग्राम छिड़ा है और बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते हैं। इस रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा सचिव के एक नोटिंग के हवाले से दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में समानांतर बातचीत कर रहा था। इस बारे में रक्षा मंत्रालय की ओर से इस समानांतर बातचीत पर आपत्ति और चिंता व्यक्त की गई थी।

शुक्रवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया। कुछ देर बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इस रिपोर्ट पर ही सवाल उठाया और उसे एकपक्षीय करार दिया। रक्षा मंत्री ने कहा कि नोटिंग के नीचे ही तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जबाव दिया था, जिसे अखबार ने एकपक्षीय रिपोर्ट करते हुए नहीं छापा। 

शुक्रवार को अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में प्रकाशित खबर में दावा किया गया कि भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल सौदे के दौरान रक्षा मंत्रालय के समानांतर पीएमओ भी बातचीत कर रहा था। अखबार ने तत्कालीन रक्षा सचिव मोहन कुमार के एक नोटिंग के हवाले से यह दावा किया। रक्षा सचिव ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को अपनी चिंता जाहिर की थी। अब सरकार का कहना है कि अखबार ने रक्षा सचिव का नोट तो छापा, लेकिन उसके नीचे लिखे पर्रिकर के उस जवाब को नहीं छापा, जिसमें उन्होंने साफ किया था कि सबकुछ ठीक है।

इस पूरे विवाद पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सरकार की तरफ से जवाब दिया। राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि अखबार ने पूरी सच्चाई सामने नहीं रखी। उन्होंने कहा कि अखबार को डिफेंस सेक्रटरी के कॉमेंट पर रक्षा मंत्री के जवाब को भी छापना चाहिए था। सीतारमण ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री पर्रिकर ने डिफेंस सेक्रटरी की फाइल नोटिंग के जवाब में कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है, सब ठीक हैं।

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ANI

उन्होंने कहा कि कांग्रेस विदेशी ताकतों के हाथों खेल रही है और देश को नुकसान पहुंचा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा, 'वे गड़े मुर्दों पर चर्चा कर रहे हैं। वे मल्टी नैशनल कॉरपोरेशन के साथ खेल रहे हैं। वे भारत की वायु सेना को मजबूत नहीं होने देना चाहते हैं।'

सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) बनाई गई थी, जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, उसका पीएमओ में कितना हस्तक्षेप था? उन्होंने कहा कि तब एनएसी एक तरह से पीएमओ चला रही थी।

"रिपोर्ट में पत्रकारिता के सिद्धांत को ताक पर रखा गया है। अगर डिफेंस सेक्रटरी नोट में बोल रहे हैं कि रक्षा मंत्री देख लो और तब के रक्षा मंत्री (मनोहर पर्रिकर) देखकर नोटिंग के नीचे ही उस पर जवाब दे रहे हैं। उनके सिग्नेचर नोटिंग पर हैं। अखबार को उसको भी अपनी रिपोर्ट में देना चाहिए था। मैंने संसद में पर्रिकर के जवाब को बताया। पर्रिकर ने नोट में डिफेंस सेक्रटरी को जवाब दिया था कि इसमें उत्तेजित होने की जरूरत नहीं है। आप शांत रहें। सब ठीकठाक चल रहा है। पत्रकारिता के सिद्धांत को देखते हुए पर्रिकर का जवाब भी रखना चाहिए था। इस तरह की सिलेक्टिव रिपोर्ट नहीं होनी चाहिए।"
-रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए राफेल में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस डील में सीधे-सीधे पीएम शामिल थे, रिपोर्ट से यह साफ हो गया है। रॉबर्ट वाड्रा और पी. चिदंबरम पर चल रही जांच पर उन्होंने कहा कि जिस पर जितनी चाहे जांच कराए, हमें आपत्ति नहीं है लेकिन राफेल पर भी जांच हो। इसके बाद कांग्रेस ने यह मुद्दा संसद में उठाया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार के समय 126 लड़ाकू विमान खरीदने की सहमति बनी थी, लेकिन 36 विमान खरीदे जा रहे हैं। एक तरफ रक्षा मंत्रालय है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यालय है, और कई तरह की बातें सामने आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे में इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराई जाए तब सचाई सामने आ जाएगी। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि अखबार की खबर में यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में समानांतर बातचीत कर रहा था। इस बारे में रक्षा मंत्रालय की ओर से इस समानांतर बातचीत पर आपत्ति व्यक्त की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय क्यों इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा था? प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इन्होंने देश की प्रतिरक्षा की रीढ़ को कमजोर किया है।

सरकार का कहना है कि अखबार ने रिपोर्ट में जानबूझकर पर्रिकर के जवाब को नहीं छापा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी अखबार में छपे रक्षा सचिव के जिस नोट को लहराते नजर आए, उसमें पर्रिकर का जवाब गायब था। बीजेपी अब इसको लेकर कांग्रेस और राहुल पर हमला बोल रही है।

तत्कालीन डिफेंस सेक्रटरी जी मोहन कुमार ने भी तत्काल सफाई देते हुए कहा कि जो भी मीडिया रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उसका राफेल डील में कीमतों से कुछ लेना-देना नहीं था।

दूसरी तरफ राफेल डील को लेकर 'द हिंन्दू' की उक्त रिपोर्ट पर मचे हंगामे के बीच भारतीय पक्ष की तरफ से वार्ता की अगुआई करने वाले एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने रक्षा मंत्रालय के नोट के सिलेक्टिव इस्तेमाल की आलोचना की है। उन्होंने खरीद प्रक्रिया को बदनाम करने के लिए अंग्रेजी अखबार पर भी निशाना साधा।

सिन्हा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'मुझे यह जानकर काफी आश्चर्य हुआ कि आज प्रकाशित आर्टिकल में तथ्यों को छिपाकर MoD के नोट का इस्तेमाल इस खरीद को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया। रक्षा मंत्री की टिप्पणी इसमें थी ही नहीं।' एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने आगे कहा कि नोट का राफेल खरीद के लिए बात कर रही भारतीय टीम के साथ कोई लेनादेना नहीं था क्योंकि इसे वार्ताकारों की टीम ने जारी नहीं किया था।

उन्होंने कहा, 'यह नोट एसके शर्मा ने तैयार किया था, जो भारतीय वार्ताकारों की टीम में शामिल ही नहीं थे। ऐसे में किसके इशारे पर उन्होंने यह नोट तैयार किया?' आपको बता दें कि अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में इस डिसेंट नोट का जिक्र है लेकिन इस नोट पर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के जवाब की कोई बात नहीं की गई है।

तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने भी सफाई देते हुए कहा है कि डिसेंट नोट का राफेल विमानों की प्राइसिंग से कोई लेनादेना नहीं था। यह पूछे जाने पर कि क्या आपको याद है कि नोट का संदर्भ क्या था, कुमार ने एएनआई से कहा, 'यह संप्रभु गारंटी और सामान्य नियम व शर्तों पर था।' कुमार 2015-17 तक रक्षा सचिव थे।