-
ANI

राज्यसभा से 124वें संविधान संशोधन बिल को वोटिंग के बाद पारित कर दिया गया. बिल के पक्ष में 165 वोट पड़े जबकि 7 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया. यह बिल लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है. उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. उपसभापति ने सदन को बताया कि बिल पर करीब 10 घंटे तक चर्चा हुई जबकि इसके लिए 8 घंटे का वक्त तय किया गया था.

इससे पहले कनिमोझी ने बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने के लिए प्रस्ताव रखा था. हालांकि वोटिंग के दौरान इसके पक्ष में 18 और खिलाफ में 155 वोट पड़े. इसके साथ ही बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग खारिज हो गई.

आपको बता दें कि 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने एक दिन पहले मंगलवार को ही बहुमत के साथ पारित कर दिया था. सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि इस विधेयक को राज्यों की मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे में इस विधेयक को मंजूरी के लिए अब सीधे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से पहले लाए जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक की न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जताई. हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिए लाया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आरक्षण विधेयक के पारित होने को सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि यह देश की युवा शुक्ति को अपना कौशल दिखाने के लिए व्यापक मौका सुनिश्चित करेगा तथा देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा. पीएम मोदी ने कई ट्वीट में लिखा, 'खुशी है कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया है जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संविधान में संशोधन करता है. मुझे देखकर प्रसन्नता हुई कि इसे इतना व्यापक समर्थन मिला.''

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जतायी गयी और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लायी है.

चर्चा के दौरान राज्यसभा में कुछ दिलचस्प दावे सुनने को मिले. विपक्षी सांसदों ने चुनाव से ठीक पहले इस बिल को लाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. वहीं, सरकार ने बिल को ऐतिहासिक बताते हुए इसे मैच जिताने वाला छक्का बताया. इस पर BSP ने दावा किया कि यह छक्का सीमा पार नहीं जा पाएगा. दरअसल, उच्च सदन में 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि यह विधेयक सरकार के लिए स्लॉग ओवर में मैच जिताने वाला छक्का साबित होगा.

बाद में बीएसपी नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने सरकारी क्षेत्र में रोजगार के बेहद कम अवसर होने की ओर ध्यान दिलाया और इस विधेयक को एक 'छलावा' बताया. उन्होंने कहा कि दो दलों (BSP और SP) के राष्ट्रीय अध्यक्षों की नववर्ष पर मुलाकात के बाद से ही सरकार दहशत में आ गई और रातों-रात यह विधेयक तैयार किया गया.

वहीं, कांग्रेस ने कहा कि वह सामान्य श्रेणी के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को मंजूरी देने का स्वागत करती है. हालांकि, कांग्रेस ने इसके समय को लेकर सवाल उठाया, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है. राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि इसे क्यों अचानक से लाया जा रहा है। यह (संसद का) अंतिम सत्र है, इसके बाद चुनाव है.'

शर्मा ने कहा कि बीजेपी साढ़े चार वर्षों के शासन के दौरान विधेयक क्यों नहीं लाई? उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी ने हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद इस फैसले पर जोर दिया है. आनंद ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि अगर 10 फीसदी आरक्षण लागू होता है तो किन लोगों को फायदा होगा.

केंद्रीय मंत्री एवं LJP प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि ऊंची जाति के कई लोगों ने पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण प्रदान करने में बीज देने का काम किया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ऊंची जाति के लोगों में भी गरीबी बढ़ी है और उनकी कृषि भूमि का रकबा घटा है. उन्होंने कहा कि आज जब इस वर्ग को आरक्षण देने की बात आई है तो हम सभी को कंधे से कंधा मिलाकर इसके लिए संघर्ष करना चाहिए.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है.

उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा.

गहलोत ने आगे कहा कि मैं आनंद शर्मा और उनकी पार्टी से पूछना चाहता हूं कि उनके घोषणा पत्र में भी सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण की बात थी तो वह कौन सा रास्ता था जो आप अपनाते? उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बिल को लेकर कोई सुप्रीम कोर्ट जाता है तो विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट भी इसके संवैधानिक पहलू को देखेगा.