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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारीPTI

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पिछले करीब 20 दिनों से चल रही खींचतान के बाद राज्यपाल द्वारा की गई राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को मंगलवार, 12 नवंबर की शाम राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी मिल गई। इससे पहले पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। 

राज्यपाल द्वारा पहले बीजेपी, फिर शिवसेना और आखिर में एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया गया था लेकिन तीनों ही पार्टियां तय समयसीमा में सरकार बनाने का दावा नहीं पेश कर पाईं, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज ही इसकी सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार शाम मंजूरी दे दी। कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ''वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।"

अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' से संबंधित है।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में आदित्य ठाकरे और संजय राउत के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में आदित्य ठाकरे और संजय राउत के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।IANS

रविवार से सोमवार तक शिवसेना के सरकार न बना पाने के बाद सोमवार शाम को गवर्नर ने तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी को मौका दिया था। एनसीपी को मिला यह समय आज रात 8:30 बजे समाप्त हो रहा है। हालांकि एनसीपी की ओर से भी अब तक आधिकारिक तौर पर सरकार बनाने को लेकर कोई दावा नहीं किया गया है।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

शिवसेना ने कहा है कि उसने एमसीपी और कांग्रेस से समर्थन पत्र हासिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने खारिज कर दिया।

शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने बीजेपी को यह बताने के लिए 48 घंटे का समय दिया कि क्या वह सरकार बना सकती है, लेकिन समर्थन पत्र हासिल करने के लिए शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया। शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के अवसर से इनकार करने के लिए बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में काम किया।