मायावती
मायावतीReuters

राजस्थान में मायावती को उन्हीं की पार्टी के विधायकों से गहरा झटका लगा है। राज्य में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली है या यूं कहें कि वहां बीएसपी का कांग्रेस में विलय हो गया है। सोमवार रात इसकी पुष्टि हुई। कांग्रेस में शामिल एक विधायक ने कहा कि उन्होंने ऐसा अपने-अपने क्षेत्र के विकास के लिए किया है।

बसपा के सभी 6 विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना एक ओर जहां मायावती के लिए बड़ा झटका है, वहीं अशोक गहलोत के लिए राहत की बात है। क्योंकि कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस के कामयाब होने के बाद बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश और राजस्थान पर ही टिकी है। बता दें कि जिन सभी बसपा विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थामा है, वे सभी अब तक बाहर से कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे।

कांग्रेस में शामिल हुए बीएसपी विधायक जोगिंदर सिंह ने इसपर बात की। उन्होंने बताया कि वे सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वह बोले, 'यहां हमारे सामने बहुत सी परेशानियां हैं। एक तरफ हम उनकी सरकार का समर्थन कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।'

जोगिंदर सिंह अवाना ने आगे कहा, 'ऐसे में अपने क्षेत्र के विकास के बारे में सोचते हुए, अपने लोगों का भला सोचने हुए हमने यह कदम उठाया है।'

बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायकों ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को इसके संबंध में एक पत्र भी सौंपा। विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने इसकी पुष्टि की।

मिली जानकारी के मुताबिक, राजेन्द्र गुढा (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह मीणा (करोली), संदीप यादव (तिजारा) और दीपचंद खेरिया ने कांग्रेस की सदस्यता ली।

बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय से प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार और अधिक मजबूत और स्थिर हो जाएगी। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार संपर्क में थे। प्रदेश की 200 सीटों वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस के 100 विधायक हैं और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के पास एक विधायक है। 

सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 का बाहर से समर्थन प्राप्त है जबकि दो सीटें खाली हैं। राज्य में 2009 में भी अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान, बसपा के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस का दामन थामा था और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को स्थिर बनाया था। उस समय सरकार स्पष्ट बहुमत से पांच कम थी।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।