कासिम सुलेमानी
कासिम सुलेमानीReuters

ईरान के कुद्स फोर्स के जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मौत के बाद तेहरान और वॉशिंगटन के बीच जबरदस्त तनाव है। ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने 'तगड़े इंतकाम' की धमकी भी दे डाली है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान किस प्रकार की कार्रवाई कर सकता है। वैसे सुलेमानी पर काफी लंबे वक्त से अमेरिका की नजर थी।

साल 2007 में अमेरिकी कमांडो ने सुलेमानी को उत्तरी इराक जाते देखा था। उस वक्त उनके पास सुलेमानी को मारने का मौका था, लेकिन उन पर हमला नहीं किया गया। अमेरिका, इराक में अपने सैनिकों की हत्या के लिए सुलेमानी को जिम्मेदार मानता है।

उस वक्त इराक में मौजूद रहे रिटायर जनरल स्टैनली मैकक्रिस्टल के मुताबिक, 'मैंने फैसला किया कि हम सुलेमानी के काफिले पर नजर रखेंगे, तत्काल हमला नहीं करेंगे।'

सुलेमानी को मारे जाने के बाद ईरान से आने वाली प्रतिक्रियाओं को लेकर पूर्ववर्ती जॉर्ज बुश और बराक ओबामा प्रशासन में एक डर का माहौल था। यह बात दोनों के ही प्रशासन में काम कर चुके एक अधिकारी ने कही। उनका मानना था कि सुलेमानी मरने के बाद भी उतना ही खतरनाक है जितना कि जीवित रहते हुए।

हालांकि, इस विचार का अंत तब हुआ जब इसी सप्ताह राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सुलेमानी पर हमले को हरी झंडी दे दी। सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की तरफ जा रहा था, तभी अमेरिकी ड्रोन ने हमला कर दिया जिसमें उनकी मौत हो गई। ट्रंप ने इस घटना के बाद ट्वीट किया कि सुलेमानी का खात्मा कई साल पहले ही कर दिया जाना चाहिए था।

वहीं, कुछ पूर्व अधिकारियों का मानना है कि सुलेमानी भले ही अमेरिकी सैनिकों की मौत का जिम्मेदार रहा हो, लेकिन ट्रंप के फैसले ने आखिरकार खाड़ी में अमेरिकी नागिरकों के लिए खतरा बढ़ा दिया है। ओबामा प्रशासन में रक्षा मंत्रालय के सहायक सचिव रह चुके डेरेक शॉलेट ने कहा, 'पहले के राष्ट्रपतियों के पास भी ऐसे कदम उठाने के अवसर थे जो हमने पिछली रात देखा, लेकिन उन्होंने खतरों को देखकर फैसला नहीं लिया और ये सवाल भी उस वक्त उठाए गए थे कि यह हमें किस तरह लेकर जाएगा। दुर्भाग्यवश, आज वे सवाल नहीं है।'

ईरान की एलिट सेना कुद्स फोर्स के चीफ सुलेमानी पर हमले के ट्रंप के फैसले ने अमेरिका और ईरान को एक-दूसरे के सामने ला खड़ा किया जिनके बीच परमाणु संधि से अमेरिका के अलग हो जाने के बाद से तनाव का माहौल है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एपी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.